दूर्गा पूजा के छठे दिन मॉं कात्यायनी के जय घोष के साथ पूजा अर्चना में भक्त हुए लीन!
सारण (बिहार) संवाददाता सत्येन्द्र कुमार शर्मा: ॐ मॉं कात्यायनी नमः के उच्चारण के जय घोष के साथ दूर्गा पूजा के छठे दिन परंपरागत ढ़ंग से पूजा अर्चना में भक्त लीन रहे।
"चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवद्यातिनी।।"
वहीं विद्वत पुरोहित द्वारा उपरोक्त मंत्र के साथ यजमान द्वारा परंपरागत पूजा अर्चना कराई। हे माँ कात्यायनी आपकी उत्पत्ति भगवान विष्णु के नैसर्गिक क्रोध से हुई।आप चन्द्रमा के समान उज्जवल चमकदार हैं ।आपके साधना में लीन साधक परिवार पर आपकी कृपा सदा बनीं रहे। अध्यात्म चर्चा में मॉं पार्वती द्वारा सिंह की सवारी दी गई है। आप अधिष्ठात्री दैवीय शक्ति स्वरूपा हैं। मॉं कात्यायनी सिंह पर सवार होकर महिषासुर राक्षस का वध किया है। कात्यायन ऋषि ने मॉं के इस स्वरूप की अराधना की। इसलिए मॉं के इस स्वरूप को माॅं कात्यायनी कहा जाता है। गोपियां भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए मॉं कात्यायनी की पूजा अर्चना की थी।
मॉं कात्यायनी की पूजा अर्चना रोग, शोक, संताप, भय नाशिनी के लिए की गई वहीं साथ हीं साथ अर्थ, धर्म, काम की मोक्षदायिनी के रूप में भी पूजा अर्चना की गई। क्षेत्र के बनियापुर , पैगम्बरपुर, सहाजितपुर,मानोपाली, मेढ़ुका में दूर्गा पूजा स्थलों पर परंपरागत ढ़ंग से पूजा अर्चना की गई।