नहीं रहे सारण के मशहूर शायर खुर्शीद साहिल!
सारण (बिहार): छपरा जिले के मशहूर-व-मसरूफ शायर खुर्शीद साहिल नहीं रहे. उन्होंने पटना में इलाज के दौरान वृहस्पतवार को अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें किडनी का रोग था और काफी दिनों से डायलिसिस पर थे। साहिल के देहांत की खबर आते ही शायर, कवि, साहित्यकार और बुद्धिजीवी वर्ग में शोक की लहर दौड़ पड़ी।
खुर्शीद ने अपनी शायरी की बदौलत सारण की देश के अन्य राज्यों में नुमाइंदगी की। यहां मजहरुल हक डे पर आयोजित होने वाले ऑल इंडीया मुशायरा के संयोजक होने के साथ उन्होंने विभिन्न राज्यों में अखिल भारतीय स्तर के शायरों के साथ मुशायरे पढ़े। उन्होंने अपनी रचनाओं की बदौलत कम समय में बड़ी पहचान कायम की थी। उनका मूल नाम खुर्शीद अहमद था। साहिल तखल्लुस लगाते थे। प्रारम्भ में उन्होंने ख़ुर्शीद पेवंद के नाम से हास्य व्यंग्य की शायरी की। परंतु बाद में गम्भीर शायरी करने लगे। अपने पिता अहसनुद्दीन के बाद उन्होंने मंडल कारा में संवेदक के रूप में कार्य करते रहे। इस कारण से प्रशासन में भी उनकी अच्छी छवी रही।
अपने पीछे उन्होंने पत्नी समेत तीन पुत्र और एक पुत्री छोड़ा है। बड़ा पुत्र मर्चेंट नेवी में अधिकारी है. जबकि पुत्री का विवाह भी कर चुके हैं। उनके निधन पर डॉ मुअज्जम अज्म, शहजाद अहमद, दक्ष निरंजन शंभू, प्रो शमीम परवेज, शंभू कमलाकर मिश्र, प्रो शकील अनवर, साकेत रंजन प्रवीर, शाहिद जमाल, जुनैद मीर, सुहैल अहमद हाशमी आदि ने संवेदना प्रकट की है।