देवताओं ने भी शक्ति स्वरूपा आदिशक्ति नारी के सम्मान के लिए लड़ाई लड़ी!: हृदय नारायण जी महाराज
सारण (बिहार) संवाददाता मनोज कुमार सिंह: प्रत्येक युगों में देवताओं ने भी शक्ति स्वरूपा आदिशक्ति अर्थात नारी के सम्मान के लिए भिन्न भिन्न प्रयत्न किए। जब जब नारी व महिलाओं के सम्मान की बात सामने आयी तो देवताओं ने महिसासुर, राजादक्ष, रक्तबीज, अंधकासुर, रावण जैसे विभिन्न आसुरी प्रवित्ति का सर्वनाश किया। देवादिदेव महादेव ने भी देवी सती व देवी सीता के अपमान का मर्दन किया। उक्त बातें दाउदपुर के जैतपुर तिवारी में चल रहे श्री शिव महापुराण साप्ताहिकी कथा में बनारस से पधारे राष्ट्रीय कथा वाचक भगवान भूषण हृदय नारायण जी महाराज ने कही।
उक्त कथा अंतराल में भूषण महाराज जी ने कहा कि संसार में बनाये गए समस्त जीवों में मनुष्य एक सामाजिक व विवेकशील प्राणी है। मनुष्य के मस्तिष्क में संस्कार, नैतितकता, परिपूर्ण किया, जिसके आधार पर जीवो में प्राणियों के बीच अनेक कर्म जोड़े गए जिसमें जन्म से धर्म, सत्कर्म, क्षमा, मोक्ष, और अंत मे सद्गति प्रदान किये। इस बीच प्रत्येक मनुष्य को देवताओं से मिले अनमोल जीवन का सदुपयोग धर्म से जुड़कर करना कर्तब्य है। वही कथा में शिवशक्ति प्रसंग में शक्ति, शांति और मोक्ष के वृतांत का वर्णन किया। अपने मुखारबिंद से यज्ञस्थल व आसपास के क्षेत्रों में गूँजते ध्वनि से क्षेत्र शिव भक्ति रस का रसपान कराया उक्त कथा प्रति संध्या व दिन में भवगान शिव की आराधना व विधिवत पूजा कर जनकल्याण की भावना जागृत किया। यज्ञ के यज्ञाचार्य रजनीश उपाध्याय, आचार्य विजेंद्र पांडेय की देख रेख में पूजन विधि पूरे विधान से किया गया। कथा श्रवण में ग्रामीणों के साथ साथ आसपड़ोस के लोग भी शिव महिमा के कथा का आनंद उठा रहे है।