जिले के मरीजों को पटना के बदले अब सिवान में इलाज संभव : जिलाधिकारी
कालाजार उन्मूलन अभियान में जिलाधिकारी का सहयोग साबित हुआ मील का पत्थर: सिविल सर्जन
कालाजार नियंत्रण को लेकर हर संभव किया जाता हैं प्रयास: डॉ ओपी लाल
सिवान (बिहार): देश सहित राज्य और जिले से कालाजार जैसी बीमारी के उन्मूलन को लेकर जिला स्तर पर हर संभव प्रयास किया जाता हैं। हालांकि अब इसके लिए छपरा का "सेंटर ऑफ एक्सीलेंस" न केवल कालाजार बीमारी के लिए बेहतर विकल्प होगा बल्कि आसपास के लोगों को इस परियोजना के तहत लैब अपग्रेडेशन से अन्य मरीजों और चिकित्सकों को भी मदद मिलने वाली है। क्योंकि विभागीय स्तर पर उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करते हुए जिला सहित राज्य से कालाजार उन्मूलन के प्रति जिलेवासियों का भरपूर सहयोग कर रहा है। हालांकि जिला सहित बिहार से कालाजार जैसी बीमारी को मिटाने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। लेकिन इसके लिए वीएल, पीकेडीएल और एचआईवी वीएल के उन रोगियों के उपचार की पूर्ति करेगा, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
जिले के मरीजों को पटना के बदले अब छपरा में इलाज संभव: जिलाधिकारी
जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता ने बताया कि कालाजार जैसी बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए हमलोग अंतिम पड़ाव की ओर अनवरत बढ़ रहे हैं। क्योंकि जिला प्रशासन ने पहला और अंतिम लक्ष्य मान कर कार्य कर रहा हैं। क्योंकि प्रत्येक महीने इस बीमारी को लेकर समीक्षात्मक बैठक आयोजित कर मरीज, उपचार और जागरूकता कार्यक्रम से संबंधित विस्तृत जानकारी लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिया जाता हैं। हालांकि पहले तो जिलेवासियों को कालाजार बीमारी से संबंधित बोन मैरो और स्किन असमेयर का जांच और उपचार कराने के लिए पटना स्थित राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट मेडिकल सांइस (आरएमआरआइ) जाना पड़ता था लेकिन अब सारण जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में स्थापित "सेंटर ऑफ एक्सीलेंस" की स्थापना की गई है। ताकि यहां के मरीजों का जांच और उपचार स्थानीय स्तर पर किया जा सके।
कालाजार उन्मूलन अभियान में जिलाधिकारी का सहयोग साबित हुआ मील का पत्थर: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ श्री निवास प्रसाद का कहना है कि राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) से सबंधित कालाजार उन्मूलन अभियान में जिले के सभी पंचायत जनप्रतिनिधियों का सहयोग काफी सराहनीय रहा है। इसके साथ ही आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका और जीविका समूह से जुड़ी दीदियों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया प्रयास कालाजार उन्मूलन अभियान में मील का पत्थर साबित हुआ है। हालांकि अभी भी बेहतर प्रयास करने की जरूरत है। जिले को फाइलेरिया और कालाजार मुक्त करने के लक्ष्य को शत प्रतिशत पूरा कराने में जिलाधिकारी के दिशा निर्देश के आलोक में कालाजार नियंत्रण को लेकर छिड़काव और जागरूकता अभियान चलाया जाता हैं। साथ ही सहित स्थानीय स्तर के कई अन्य अधिकारियों एवं कर्मियों का सहयोग मिलता रहा है। लेकिन इसके बावजूद हम सभी को अपनी तरफ से भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। वहीं कालाजार पीड़ित गांवों का समय समय पर विभागीय स्तर पर निरीक्षण किया जाता है।
कालाजार नियंत्रण को लेकर हर संभव किया जाता हैं प्रयास: डॉ ओपी लाल
ज़िला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि जिले में कालाजार नियंत्रण को लेकर हर संभव प्रयास किया जाता हैं ताकि इसको जड़ से मिटाया जा सकें। क्योंकि वर्ष 2021 में विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) के 112 जबकि पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) के 73 मरीजों की पहचान जिले में हुई थी। लेकिन अब धीरे धीरे इसका असर कम होने लगा है। वहीं 2022 में वीएल के 57 जबकि पीकेडीएल के 51, वर्ष 2023 में वीएल के 42 जबकि पीकेडीएल के 19 रोगी मिले थे। हालांकि वर्ष 2024 में अभी तक वीएल के 25 जबकि पीकेडीएल के मात्र 9 मरीजों का शिनाख्त हुआ है। कालाजार उन्मूलन के लिए जिले में लगातार छिड़काव कराया जाता है ताकि कालाजार उन्मूलन अभियान को शत प्रतिशत सफ़लता मिल सके। साथ ही मरीजों की संख्या शून्य करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। विभागीय स्तर पर कालाजार बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपये केंद्र सरकार की ओर से श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाती है। पीकेडीएल और वीएल के इलाजरत मरीज़ों के लिए सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में रोगियों की जांच, इलाज एवं रहने और भोजन की व्यवस्था पूरी तरह से निःशुल्क होती है।