🌳 "धरा"और" मैं"🌳""""""""''''""""""''""""""""''''""""""''
☘️🦚 ✍️रति चौबे ☘️🦚
मैं ही "धरा सी"☘️
और
"धरा" ही मेरी सी ☘️
बिन धरा मैं नहीं
' मै' नहीं धरा नहीं
क्यों?
जीवन एक सा 🌳
दोनों ही अनमोल
हम दोनों मां -
हम ही संजीवनी हैं
हम ही धन्वन्तरी- है 🌳
हम ही अग्नि🔥
हम ही शीतल छांव🌳
हम ही" सुधारस"
हम दोनों "कल्पवृक्ष"🌳
हम हर मर्ज की 'दवा'
बचपन में "पालना"
युवावस्था में "आंगना"
वृद्धा वस्था में "बिछौना"
मृतावस्था में " शैय्या"
चंदा ,सूरज 🌝
हमें देख इठलावे 🌞
हम ही राम,कृष्ण,गौतम
की जननी
हम ही सीता, अहिल्या
गांधारी☘️🍁
युग बदले --
पर हम ही अपरिवर्तित
हम ही "प्रलय"🔥
ले सबको चपेट में-
हम ही "उर्वरा"
दे जीवनदान सभी को
हम ही सुप्त ज्वालामुखी
बन जावे विकराल
🔥🔥🔥
प्रकृति ही हमारा "श्रृंगार"
करो ना श्रृंगार हीन☘️
बदलो ना 🍁🌺
अपनी प्रवृत्ति
वरना पर्यावरण होगा
प्रदूषित😢
मंच जायेगा हाहाकार😭
हमें सहेजो🌸
देंगे हम "प्राणवायु"🌳
💃☘️🌳💃☘️💃
क्योंकि ---
हम ही "वसुंधरा"
☘️☘️🌳☘️🌸🍓🌺🥦🧅🌽🥭🍇🥕
.................................................................