प्रेम अहम है जीवन में
✍️निरेन कुमार सचदेवा
अकड़ शब्द में मात्रा नहीं है,
पर ये अलग अलग मात्रा में हर इंसान में मौजूद है।
लेकिन इस भ्रम में मत पड़ना
कि ये एक महत्वपूर्ण शब्द है,
इस शब्द से नहीं बन पाया
आज तक किसी का वजूद है।
और दूसरी तरफ़ लोग कहते हैं कि इश्क़,
प्यार और मोहब्बत, ये शब्द हैं विकलांग,
लेकिन मैं कहता हूँ कि इन शब्दों की हर दिल में है माँग।
चलो एक समझौता करते हैं,
बिना मात्रा के शब्दों का और विकलांग शब्दों का,
मिश्रण कर ज़िंदगी का रूख बदलते हैं।
और सोचो मात्रा नहीं है अकड़ में,
तो मात्रा नहीं है पकड़ में और मात्रा नहीं है जकड़ में,
लेकिन इन शब्दों का कुछ अलग ही है मतलब।
प्यार को पकड़ लो, मोहब्बत को जकड़ लो,
फिर चाहे थोड़ा अकड़ लो,
इश्क़ की तो हर इंसान को है तलब।
थोड़ी बहुत अकड़ ठीक है,
लेकिन इसे कभी भी ना बनाना अपनी ज़िंदगी का आधार।
ज़िंदगी का आधार तो है ये विकलांग शब्द प्यार,
जिस के बल बूते पर आज तक टिका हुआ है यह संसार।
जैसे कि मैंने पहले कहा, मोहब्बत को पकड़ लो,
प्यार को जकड़ लो, अकड़ से रहो दूर,
फिर जीवन रहेगा ख़ुशियों से भरपूर।
इश्क़ भी लाज़मी है, इंसान की ज़रूरत है,
यही हक़ीक़त है।
और वैसे देखो तो ये हरफ शब्द ख़ुद भी है विकलांग,
तो फिर इश्क़, मोहब्बत और प्यार को क्यूँ देना दोष?
यह तो वो जज़्बात हैं
जो उड़ा देते हैं सब के होश !!
एक साफ़ सुथरी ज़िंदगी जीना चाहते हो तो
अकड़ का त्याग करो,
और दिलों में पालो मोहब्बत और प्यार।
विकलांग हैं तो क्या हुआ,
यह शब्द लाते हैं हर चेहरे पर निखार
और देते हैं हर ज़िंदगी को सँवार।
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