डेंगू और चिकनगुनिया को लेकर स्वास्थ कर्मियों को मिला प्रशिक्षण!
बीमारी का कारण, लक्षण और निदान को लेकर विस्तार पूर्वक प्रशिक्षकों द्वारा की गई चर्चा: सिविल सर्जन
सारण (बिहार): संवाददाता सत्येन्द्र कुमार शर्मा: डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारी को जड़ से मिटाने और उसका उचित प्रबंधन को लेकर राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनसीवीबीडीसी) द्वारा विगत वर्ष 'नेशनल गाईड लाईन फॉर क्लिनिकल मैनेजमेंट ऑफ चिकनगुनिया विकसित किया गया था।
उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी और चिकित्सा पदाधिकारियों को डेंगू और चिकनगुनिया वायरस से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान सदर अस्पताल परिसर स्थित जीएनएम कॉलेज के सभागार में कही। उन्होंने यह भी कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में हुए विकास को ध्यान में रखते हुए चिकनगुनिया का उचित प्रबंधन और रोकथाम को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर दिशा- निर्देश को नवीनतम रूप दिया गया है। डेंगू और चिकनगुनिया को लेकर क्लीनिकल मैनेजमेंट से संबंधित एक दिवसीय गैर आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें डेंगू और चिकनगुनिया के कारण, लक्षण और निदान को लेकर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। क्योंकि चिकनगुनिया एडीज मच्छर जनित वायरल बुखार है, जो राज्य और जिला स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक चिंता का सबब बना हुआ है। लेकिन इसके बचाव और सुरक्षित रहने के लिए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार, सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शैलेश कुमार और डॉ. हरेंद्र कुमार द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी और चिकित्सा पदाधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया। क्योंकि यह तीनों प्रशिक्षक पटना में आयोजित राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके है।
जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के एमओआईसी और चिकित्सा पदाधिकारियों को किया गया प्रशिक्षित: मुख्य प्रशिक्षक
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी सह राज्य स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त मुख्य प्रशिक्षक डॉ दिलीप कुमार ने कहा कि सदर अस्पताल परिसर स्थित जीएनएम कॉलेज के सभागार में राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनसीवीबीडीसी) के तहत प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें जिला अस्पताल से उपाधीक्षक सहित 6 चिकित्सा पदाधिकारी, सोनपुर अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक सह प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सहित चार अन्य चिकित्सा पदाधिकारी के अलावा जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी और एक - एक चिकित्सा पदाधिकारियों को क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल से संबंधित प्रशिक्षकों द्वारा सभी को प्रशिक्षित किया गया। क्योंकि यह घातक रोग तो नहीं है, लेकिन पीड़ित व्यक्ति लंबे समय तक जोड़ों के दर्द से प्रभावित रहता हैं तथा इसके साथ ही सामाजिक और आर्थिक रूप से परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। चिकनगुनिया जैसी बीमारी से बचाव या सुरक्षित रहने के लिए अभी तक किसी भी प्रकार के टीके या दवा का इजाद नही हुआ है। इस स्थिति में इसके रोकथाम के लिए इसे फैलाने चाले एडीज मच्छरों का नियंत्रण होना लाजिमी है। इसलिए लक्षणों के आधार पर इसका उपचार या प्रबंधन किया जाता है ताकि पीडित व्यक्ति को राहत मिल सके। शहर के अधिकांश निजी अस्पताल एवं नर्सिंग होम में भी डेंगू एवं चिकनगुनिया के मरीजों की पहचान होती है। जिस कारण विगत दिनों जिला मुख्यालय स्थित लगभग दो दर्जन से अधिक निजी नर्सिंग होम संचालकों के चिकित्सकों को राज्य स्तरीय आयोजित ऑनलाइन मीटिंग के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा चुका है। ताकि डेंगू या चिकनगुनिया वायरस से संबंधित मरीजों की पहचान कर उसका उचित प्रबंधन और उपचार किया जा सके।
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार, जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार सिंह, सिफ़ार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी शशि कांत कुमार, सतीश कुमार, पंकज तिवारी, सुमन कुमारी और मीनाक्षी सिंह, एफएलए शाकिब अयाज सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।