लोकमान्य तिलक
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1 अगस्त/पुण्य-तिथि
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बाल गंगाधर तिलक का जन्म २३ जुलाई को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के चिक्कन गाँव में हुआ था। पिता गंगाधर रामचंद्र तिलक एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे। अपने परिश्रम के बल पर शाला के मेधावी छात्रों में बाल गंगाधर तिलक की गिनती होती थी। वे पढ़ने के साथ-साथ प्रतिदिन नियमत रूप से व्यायाम भी करते थे अत: उनका शरीर स्वस्थ एवं पुष्ट था।
सन् १८७९ में बीजेपी तथा कानून कीपरीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने अपनी सेवाएं पूर्ण रूप से एक शिक्षण संस्था के निर्माण को दे दीं। सन् १८८० में न्यू इंग्लिश स्कूल और कुछ वर्ष बाद फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना की। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वे पहले लोकप्रिय नेता थे।
उन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की माँग उठाई। लोकमान्य तिलक ने जनजागृति का कार्यक्रम पूरा करने के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव तथा शिवाजी उत्सव सप्ताह भर मनाना प्रारंभ किया। इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देशप्रेम और अंग्रेजों के अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा गया।
तिलक के क्रांतिकारी कदमों से अंग्रेज बौखला गए और उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाकर ०६ वर्ष के लिए *देश निकाला* का दंड दिया और बर्मा की मांडले जेल भेज दिया गया। इस अवधि में तिलक ने गीता का अध्ययन किया और *गीता रहस्य* नामक भाष्य भी लिखा। तिलक के जेल से छूटने के बाद जब उनका *गीता रहस्य* प्रकाशित हुआ तो उसका प्रचार-प्रसार आंधी-तूफान की तरह बढ़ा और जनमानस उससे अत्यधिक आंदोलित हुआ।
तिलक ने मराठी में *मराठा दर्पण* व *केसरी* नाम से दो दैनिक समाचार पत्र शुरू किए, जो जनता में काफी लोकप्रिय हुए। जिसमें तिलक ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीनभावना की बहुत आलोचना की। सच्चे जननायक तिलक को लोगों ने आदर से *लोकमान्य* की पदवी दी थी। ऐसे वीर लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक का निधन मुंबई में ०१ अगस्त १९२० को हुआ।
आलेख: पनपा "गोरखपुररी