रंग लायेगी
/// जगत दर्शन साहित्य
तुमने मानव जन्म पाकर के क्या।
सही मूल्यांकन अपना किया क्या।
या बस नाम के लिए ही तुमने।
ये मानव रूप को धारण किया।।
नाम के लिए क्या क्या किया
काम के लिए क्या कुछ किया।
या फिर सिर्फ अभिमान के लिए
और दिखावे के लिए ही तुमने।
क्या दान धर्म का सहारा लिया
या अंतरात्मा की सुनकर किया।
ये सब आपके चेहरे और भावों से
हम सबको पता चल जाता है।।
दिखावा करते हो क्या विश्वास रखते हो।
फिर क्यों हकीकत से भागते हो।
और खुद की सच्चाई को छुपाते हो।
इसलिए चेहरे पे चेहरे लगाये जा रहे हो।।
सत्य की बातों को तुम समझो।
मन की बात को दिलसे सुनो।
और अपने भावों को प्रगट करो।
जिंदगी तेरी बहुत ही रंग लायेगी।।