किश्तों में चल रही है जिंदगी'
/// जगत दर्शन न्यूज
नागपुर (महाराष्ट्र): हिन्दी महिला समिति' नागपुर के तत्वावधान में शनिवार को एक ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा का मुख्य विषय 'किस्तों में चल रही है जिंदगी' रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता रति चौबे ने किया।
उक्त कार्यक्रम में दर्जनों महिलाओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान अतिथि गीतू शर्मा ने कहा कि कुछ ख्वाब टूटे, कुछ अरमान छूटे, रंग सारे सच्चे झूठे, चाहा वो कभी मिला नही और मिला वो कभी सोचा ही नहीं।
हर पल बदलते मौसम सी बदल रही जिंदगी,
सच कहूं तो किश्तों में चल रही जिंदगी।
भगवती पंत के अनुसार कभी रो रोकर, कभी हँस हँसकर, कभी गिर गिर कर, कभी संभल कर, कभी लगे सखी प्यारी, अपनी कभी बन जाये बेगानी सी। संशय की आँख- मिचौली सी किश्तों में चल रही जिंदगी।
निवेदिता पाटनी ने बड़े सुन्दर ढंग से बताया कि
विश्वास सागर से गहरा किया और गोता लगा गए गहरे हम, डूबे तो पूरे गए, भ्रम टूटा बच गए, मगर बचे किश्तों में। जिम्मेदारियां नदी के पानी सी, हर पल नई यौवना सी निभाते निभाते, बूढ़े हो गए हम आखिरकार किश्तों में।
रेखा पाण्डेय जी के विचार में एक तरह से हम सभी किश्तो में ही जीते हैं जिंदगी। कुछ सपने, हुये पूरे और कुछ अधुरे जिंदगी के कभी रोना कभी हंसकर जीना कभी रूठना कभी मनाना। इसी तरह रोते, गाते हम सभी जीते हैं जिंदगी किश्तों में।
रति चौबे जी के विचार में किस्तों में चल रही जिंदगी
संवेदनाए लुप्त हुई- हर पल "मरणासन्न" सा है-आत्मकेन्द्रित। हर मानव है-जी रहा जिंदगी, उधार की-उलझा किस्तों मे, भाग्यलिपी जीवन की एक अनबूझ पहेली सी बन गई-मृग तो मृग है, पर वह क्यूं बनी मृग इंसा।
गार्गी जोशी के शब्दों में- उसने सागर न दिया प्यास को बुझाने को। कतरा कतरा दिया बस जी लूँ और मर न सकूं। मेरे हिस्से में भरपूर कुछ न आया है। बस यूँ ही किश्तों में चल रही ज़िंदगी।
निशा चतुर्वेदी ने कहा कि न कोई अपना है ना ही पराया है, जहां मतलब है उसे ही अपनाया है। प्रदर्शन ही प्रदर्शन है। भौतिक वस्तुओं का अंबार है। फिर भी किश्तों में चल रही है जिंदगी। कैसा विचित्र विकराल समय आया है, मानव आकंठ किश्तों में डूबा और उतराया है।
कविता कौशिक ने कहा कि किश्तो में चल रही है जिंदगी। मैने यहाँ किश्तो को तीन स्वरूप में पाया है। बचपन, जवानी बुढ़ापा और इनकी किस्ते कुछ इस प्रकार रही। बचपना जिन्हे नही मिला, उम्र से पहले समझदार बना दिया गया। फिर दहलीज मिली जवानी की ओर अग्रसर हुए। यहाँ का नजारा ऐसा था कि ना कुछ जवानी जैसा जीने मिला ना कोई लाड-प्यार मिली तो सिर्फ सख्ती फिर बुढ़ापे ने दी दस्तक और पंख लगाकर उड़ लिये।
रश्मि मिश्रा के अनुसार किश्तों में कटती जिन्दगी सच पूछें तो पूरी ज़िन्दगानी है। तीन किश्तों की कहानी है। पहली किश्त है बचपन, जिसमें रहती खुशियों की पलटन। बीत गई जो पहली किश्त आ गई जिम्मेदार जवानी है। तीन किश्तों की कहानी। पढ़ लिखकर अफसर बनना है। शादी-ब्याह भी रचाना है। सृष्टि को अग्रसर करना है। बुढ़ापा आ गया लेकर अपनी तीसरी किश्त खुद को समय अब देना है।
सुषमा कि हमारे किश्तों में चल रही है ज़िन्दगी। निवेदिता शाह जी कह रही हैं कि किश्तों के जंजाल से मुक्त न होते हुए हमेशा किश्तों के हेर फेर में चल रही है जिंदगी रेखा तिवारी के अनुसार जिंदगी विभिन्न रंगों में चल रही है जिंदगी ।संचालन रश्मि मिश्रा ने किया बहनों का आभार भगवती पंत जी माना।