गुम हुए परिचय तमाम!
✍🏻 किरण बरेली
गुम हुए परिचय तमाम!
मैं खुद में गुमशुदा हूँ
कुछ शख्स पूछ लिया करते हैं
मेरा नाम पता मेरा
मैं तो मुसाफिर की तरह हूँ।
फिर भी वो लोग पूछा करते हैं
गली घर का ठिकाना
नितांत अकेलेपन के अनगिनत वर्ष
अंजान सी गलियां पश्चाताप के जंगलों में
मिली सजाओं को बिताते
साल दर साल गुजर रहे हैं।
मैं लम्हा हूँ गुजरा हुआ सा
लोग मेरी पहचान तलाश रहे हैं
कैसे उन्हें बताऊँ कि
गुम हुए सभी परिचय तमाम।।