मैं भी.............

✍️ कवियित्री: किरण बरेली
/// जगत दर्शन साहित्य
मैं भी साक्षर हो सकता हूँ
शब्द-शब्द मैं पढ़ सकता हूँ
पढ़ने का जुनून है मुझमें
पथ पर मेरे संकट कंटक
अनगिनत सही
लेकिन रगों में मेरी है
नेक इंसान की पहचान।।
पल रहा अभाव में
अनाथ मेरा बचपन
कहाँ छुपा रखा है
बेरहम क्रूर वक्त ने
मेरा इन्द्रधनुषी आसमान।।
मैं भी भर सकता हूँ
उन्मुक्त ऊँची उड़ान
मुझ पर कब तलक चलती रहेगी
अंधेरो की हुकूमत??
अब मुझे भी चाहिए
उजालों का आसमान।।