सृष्टि की रचना
मैं प्रकृति की
अद्भुत रचना,
अदम्य साहस से परिपूर्ण हूँ।
मैं दुर्गा चंडी भद्रकाली ,
महालक्ष्मी
गौरी और सरस्वती हूं।
सरस्वती हूँ।
मैं सती सावित्री सीता हूँ।
मैं जीवन की
सच्चाई और
मधुबन की तरुणाई हूँं।
मैं यौवन की
अंँगड़ाई और
सागर की गहराई हूँं।
मैं रिश्तों का सम्मान
और बच्चों में परछाई हूँ।
मैं माँ की धड़कन
और पिता का अभिमान हूँ।
मैं राखी की लाज और
भाई की शान हूँ।
मैं बहनों की आस और
मित्रता की शाख हूँ।
मैं संस्कारों का बंधन
और नींव की दीवार हूँ।
मैं प्रीत की आस और
दहलीज का मान हूँ।
हे प्रभु मैं तेरी माया से
अनजान हूँ,
मैं अबला नादान और
वाचाल हूँ।
मैं एक नारी हूँ,
स्त्री नादान ।