जमाने की छुट्टियां
/// जगत दर्शन साहित्य
आया मार्च मन में
उत्साह छाया
पुनः छुट्टियों वाला
मौसम आया।
तपा सूर्य का ताप फिर से
आंगन मामा का याद
आया।
मौज मस्ती नदी में
नहाना
बड़ा अनोखा था
वो जमाना
नानी की
वो प्यारी कहानियां
पड़ोसियों की
वो शिकायत भरी
गालियां।
दिनभर
उछलकूद वाले दिन
वो पहले के
जमाने की
छुट्टियों के दिन।
महीनों स्कूलों से
आजादी
शरबती गोला और कुल्फी
मजे लेकर बर्फ फेंकना
गिर जाये रोकर नया लेना।
वो अल्हड़पन वाले दिन
वो पहले के जमाने की
छुट्टियों के दिन।
अब कहां राहत है
पल भर की
कहां वो आंगन
मामा घर का
बीता जमाना
ढंग बदला अब स्कूल में
समर कैंप लगा है।
भूल गये सब नानी की
कहानी
अब दौर है फैशन ,
मोबाइल गेम हाथों में
थमा है।
काश! कोई लौटा दे
हमको हमारे
बचपन वाले दिन
वो पहले के जमाने की
छुट्टियों वाले दिन।
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