मौसम फागुन का आया!
✍️किरण बरेली
मौसम के किताबी पन्ने
रंगने लगा फागुन।
दरख्तों से महुआ लगा टपकने
मौसम नशीला करने लगा फागुन।
बंद द्वार थे शर्म लाज के
मन के संयम तोड़ने लगा फागुन।
सांस। सांस बहकी हुई है
रंग मुहब्बत का घोलने लगा फागुन।
मौसम बसंत का बाँध पाँव में
मतवाला हो नर्तन करने लगा फागुन।