नवजात शिशुओं एवं स्वच्छता को लेकर हुई विशेष बैठक!
आयोजित कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के सैकड़ों अधिकारी और कर्मी हुए उपस्थित!
सारण (बिहार): शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने एवं लगातार छः महीने तक नवजात शिशुओं के बेहतर देखभाल को लेकर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रमंडल स्तर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गई। उक्त बातें स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय अपर निदेशक डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने कार्यक्रम में उपस्थित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों को संबोधित करते हुए कही। आगे उन्होंने यह भी कहा कि हम लोगों के लिए यह एक अच्छा अवसर है कि हम सभी एक साथ मिलकर शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम से संबंधित विभिन्न प्रकार के आयोजन और कार्यक्रमों को लेकर प्रमंडल स्तर के पदाधिकारी और कर्मियों के साथ समीक्षात्मक बैठक कर रहे है। क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं को सामुदायिक स्तर पर सुदृढ करने को लेकर कार्य किया जा सके। ताकि सभी किशोरी, गर्भवती महिला एवं बच्चों को लाभ मिल सके तथा नवजात शिशु मृत्यु दर में आवश्यक कमी लाई जा सके।
इस अवसर पर क्षेत्रीय स्वास्थ्य अपर निदेशक डॉ सागर दुलाल सिन्हा, गोपालगंज के सिविल सर्जन डॉ बीरेंद्र कुमार, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक प्रशांत कुमार, लेखा प्रबंधक विजय कुमार राम, क्षेत्रीय अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी शादान रहमान, प्रांडलीय आशा समन्वयक संतोष कुमार सिंह, क्षेत्रीय बायो मेडिकल इंजीनियर साबित्री पंडित, प्रशासनिक कर्मी मनोज कुमार, लेखापाल निहारिका, पीरामल स्वास्थ्य के आरएम हरिशंकर कुमार, जपाइगो की बनानी मिश्रा, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, यूनिसेफ की एसएमसी आरती त्रिपाठी, सहित सारण प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले सारण, सिवान और गोपालगंज जिले के सभी एसीएमओ, डीपीएम, डीएमएनई, डीसीएम, डीपीसी, एनआरसी और एसएनसीयू के नोडल अधिकारी सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।
स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय अपर निदेशक डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने उपस्थित क्षेत्रीय स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के सभी पदाधिकारी और कर्मियों से कहा कि प्री-मैच्योरिटी, प्रीटर्म, संक्रमण एवं जन्मजात विकृतियां नवजात शिशुओं की मृत्यु के मुख्य कारणों में से एक है। हालांकि नवजात शिशुओं के स्वस्थ जीवन में नियमित टीकाकरण के अलावा स्वच्छता से संबंधित सभी तरह के मामलों पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता होती है। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि शिशुओं के जन्म के एक घंटे बाद नवजात को मां का पहला गाढ़ा पीला दूध का सेवन अनिवार्य रूप से कराना होता है। वहीं नवजात शिशुओं को संभालने से पहले अनिवार्य रूप से अपने हाथों की सफ़ाई करनी चाहिए। क्योंकि आपके हाथों की त्वचा पर कीटाणु और बैक्टीरिया रहता हैं। जिस कारण आपके बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता लड़ने के लिए पर्याप्त नहीं होती हैं। इसीलिए उचित पोषण के लिए छः महीने तक मां के दूध के अलावा किसी भी प्रकार के अन्य खाद्य पदार्थों के उपयोग से परहेज करना चाहिए। नवजात शिशुओं के वृद्धि एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए उचित पोषण सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य संबंधी मामलों के प्रति व्यापक स्तर पर जागरूकता जरूरी है।
शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम को शत प्रतिशत लागू करने में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों की अहम भूमिका: आरपीएम
क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक प्रशांत कुमार ने कहा कि
शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम को शत प्रतिशत धरातल पर उतराने के लिए प्रमंडल के सभी जिलों यथा- सारण, सिवान और गोपालगंज जिले में शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार द्वारा कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कर उसका क्रियान्वयन कराया जाता है। जिसमें विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू), गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी), छोटे बच्चों के लिए गृह आधारित देखभाल (एचबीवाईसी) और पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) के माध्यम से शिशु को आसानी से स्वस्थ्य रखा जा सकता है। किसी कारणवश आपका बच्चा निरोग नहीं हुआ है तो उसको पोषण पुनर्वास केन्द्र में पोषित करने के रखा जाता है। क्योंकि बच्चों के साथ उनकी माताएं रहकर देखभाल करती हैं। सबसे अहम बात यह है कि महिलाओं के कार्य का नुकसान नहीं हो। इसके लिए विभागीय स्तर पर प्रतिदिन के हिसाब से राशि देने का प्रावधान है।