किरदार अपना..
/// जगत दर्शन साहित्य
मेरे किरदार में बातें कुछ बेजुबानी है।
जो बिन कहे सुन ले बस
वो सुनानी है।।
आँखों से अक्सर
लिख देती गीतों को,
नज़र से नज़र पढ़ले तिरी मेहरबानी है।
दुनियां में नहीं कुछ
सब रंगमंच हैं ये,
तुझको निभानी हमको निभानी है।
मुँह खोलो कभी तो ऐसा
सुना देना,
दिलों को छू जाये निहायत रूहानी है।
अगर इंसान बना खुदा की रहमते,
इंसानियत की तोहिन तो बेमानी है।
वतन के वास्ते जी ले
ये मातृ सदृश माता,
इस मिट्टी को पूजेंगे
इसे माथे लगानी है।
निभाया अभिनय बन
संतान इसकी,
उसी से शुरू वतने हिन्द
कहानी है।
चले जायेंगे पूरा करके
किरदार विभु,
नया नहीं इसमें सभी कथा पुरानी है।