हिंदी महिला समिति का मनमोहक संक्राति उत्सव!
नागपुर (महाराष्ट्र,आनलाइ कार्यक्रम): वाह मजा आ गया! हेमलता मिश्र जी के प्रस्तावित दोहे और सब सखियों साथ ऐसा लगा मानों सब सज सँवर कर एक आँगन में नाच रही, गा रही, ढोलक बजा रही, कोई हँस रहा, कोई किसी को छेड़ रही, मंजू, गीतू, किरण, रेशम, जिगिशा के सदाबहार नृत्य, गार्गी, अलका, रेखा, शशी प्रज्ञा भार्गव की मालवा की संक्राति का पूरा वर्णन और लुभावने गीतों ने मन मोहा तो, कविता, निशा जी और गार्गी की दी गई संक्राति पर गूढ़ जानकारी। कुमाऊंनी गीत, मधुबाला की बिहारी संक्राति संस्कृति गीत ऑल राउण्डर रश्मि का तकनीकी प्रबंधन और मनभावन संचालन मन को गुदगुदा गया। वही आल- राउन्डर भगवतीजी की मस्ती भरी आभार और उनकी - मस्त चुहलबाजियों ने पटल को रसमय, गीत मुग्ध कर गये गीत, संक्राति, ममता, गीता जी की चुप्पी भी सब कुछ कह गये। पूर्णिमा पाटिल मुख्य अतिथी ने भारतीय संस्कृति व विदेशी दोंनो संस्कृतियों को बड़ी ही खूबसूरती से साकार कर के सामने ला दिया। विशेष अतिथी के रुप में आर्कलैंड की सुनीता शर्मा जी ने लोहड़ी व संक्राति को कविता में संजो कर प्रस्तुत किया। रेखा पांडे ने सभी सखियों को पटल पर संजो कर लाया। चित्रा तूर जी ने अतिथियों का परिचय दिया और संक्राति के बारे में बताया।भारत, न्यूजीलैड, आस्टेलिया व आर्कलैंड का सुंदर समागम नजर आया। इस संक्राति उत्सव पर और अध्यक्षा रति चौबे ने यह गाकर "विभिन्नताओं की सौंधी सौधी खुशबू, संक्राति इस पर्व में ये भारत देश हमारा' सबको आत्मविभोर ही कर दिया।