पारम्परिक सामानों की लोकप्रियता बढ़ाता बंजारा परिवार!
सारण (बिहार) संवाददाता वीरेश सिंह: माँझी प्रखंड के ताजपुर में बंजारा परिवार की अनोखा जीवन बंजारा शब्द मात्र अपने आप में एक पूरी जीवन शैली और संस्कृति समेटे हुए है। बंजारा शब्द सुनते ही घुमक्कड़, रंग-बिरंगे चमकीले कपड़े और चांदी के बड़े और भारी गहने पहने वाले व्यक्तियों की छवि मस्तिष्क में उभरती है। इस समुदाय के लोग छोटी-मोटी चीजों का व्यापार करके अपना जीवन यापन करते हैं।
वही माँझी प्रखंड के ताजपुर में राजस्थान से आये बंजारी महिलाओं की मेहनत देखकर लोग दंग रह जा रहे हैं इस ठंड के मौसम में महिलाएं जीतोड़ हम्मर चलाकर लोहे से निर्मित पहसुल, दाब खुरपी, कुदाल आदि का निर्माण कर जीवन बसर कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात है कि स्थानीय तौर पर इनके द्वारा लोहे से निर्मित सामान को लोग पसंद भी कर रहे हैं। सुदूर बीहड़ एवं दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन में इनकी महत्ता और भी अधिक है। आदिवासी समुदाय के जिस प्रचलन को देखकर हम आश्चर्य चकित होते हैं, वे वस्तुऐं बंजारों तथा घुमन्तु व्यापारियों द्वारा ही हम तक पहुँचती हैं।