ठंड से आलू में झुलसा रोग लगने से किसानों की बढ़ी चिंता!
सारण (बिहार): एक सप्ताह से लगातार कोहरा छाने से सब्जी की खेती पर व्यापक असर पड़ रहा है। इसमे भी खास कर आलू में झुलसा रोग लगने से किसानो की चिंता बढ़ती जा रही है। किसानो की माने तो उन्होंने जितनी पूँजी लगाई है, वह भी निकलना इस बार मुश्किल लग रहा है।
बताते चले कि मशरक प्रखंड के किसान अब अन्य फसलों की तरह आलू की खेती भी करने लगे है। चरिहारा गाँव के लगभग सभी किसान कम से कम एक बीगहे जमीन मे आलू की खेती करने लगे है। यह फसल दो महीने में तैयार होती है। वही बेनछपरा, पचखंडा, कवलपुरा तथा चान्दबरवा एवं मोगलहिया के किसानो का कहना है कि एक कठा में करीब दो क्विंटल आलू की उपज होती है। इस बार आलू की फसल से सभी किसान मर्माहत है। इस साल किसानो ने खेती तो की है लेकिन प्रकृति ने इनके इरादे पर पानी फेर दिया है। आलू के पौधे शीतलहर और कुहासा के कारण झुलस रहे है और फसल पूरी तरह बर्बाद हो रही है।
वही चरिहारा गाँव के 55 वर्षीय किसान भोला सिंह ने बताया कि 25 रुपये किलो की दर से बीज खरीद कर बोया था। शीतलहर और कुहासे के कारण आलू की उत्पादन पर काफी असर पड़ रहा है। वही बात-चीत करने पर प्रखंड कृषि पदाधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि कैसे होगी झुलसा रोग की पहचान, रबी सीजन में आलू की बुआई की जाती है । ठंड के मौसम में आलू की फसल को पहले से ही सुरक्षित रखना ज्यादा जरूरी है. ठंड का सबसे ज्यादा असर आलू, सरसों और चने पर पड़ रहा है। बारिश के बाद मौसम की नमी से शीघ्र झुलसा संक्रमण का खतरा रहता है, जिसे किसानों के लिए जानना बेहद जरूरी है। वहीं कृषि पदाधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि बचाव के लिए कृषि सलाहकार से सम्पर्क करें।