/// जगत दर्शन साहित्य
जिसने चैन हराम किया...
✍️बिजेन्द्र कुमार तिवारी (बिजेन्दर बाबू)
नमन करूं मैं उन चरणन को,
जिसने जीवनदान दिया।
साथ ही उनका भी बंदन है,
जिसने चैन हराम किया।।
संस्कार की बात न समझी,
हाया लाज भी त्यागे।
मर्यादा सब भूल के साथी,
ओछों के संग भागे।।
अपना इज्जत मान भूलकर,
जिसने शब्द प्रदान किया।
साथ ही उनका भी बंदन है,
जिसने चैन हराम किया।।
इज्जत से जीने वाले तो,
हरदम इज्जत मान करे।
मिहनत की रोटी खाते और,
शब्दों से सम्मान करे।।
सम्मानित जीवन जी जिसने है,
सबका सम्मान किया।
साथ हीं उनका भी बंदन है,
जिसने चैन हराम किया।।
कहे बिजेन्दर दुर्जन हरदम,
होते नहीं खराब।
अपना सब कुछ आप लुटाकर,
मेरा करे हिसाब।।
अपनी ही भाषा से यारों,
जिसने मेरा नाम किया।
साथ ही उनका भी बंदन है,
जिसने चैन हराम किया।।
✍️बिजेन्द्र कुमार तिवारी (बिजेन्दर बाबू)
गैरत पुर, मांझी, सारण, बिहार
मोब: 7250299200