दिव्यालय ने आयोजित किया 'सितंबर के रंग काव्य गोष्ठी के संग!'
/// जगत दर्शन न्यूज़
बेतिया (बिहार): "दिव्यालय एक साहित्यिक यात्रा" पटल पर सितंबर माह के विभिन्न पर्वों व त्यौहारों की धूम के उपलक्ष्य में रविवार को दोपहर तीन बजे से आज के भौतिकवाद काल में संचार तंत्र के आभासी पटल पर रंगारंग काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसको आयोजित करने का पूर्ण श्रेय सविता खंडेलवाल भानु को जाता है, जिन्होंने कार्यक्रम को आयोजित करनें में दिन-रात एक कर दिया। इस काव्य गोष्ठी में पटल संस्थापिका व्यंजना आनंद मिथ्या, विशिष्ट अतिथि पटल गुरु राजश्री शर्मा, कार्यक्रम अध्यक्ष महेश जैन ज्योति दादा, संरक्षक राजकुमार छापड़िया, पटल अध्यक्ष मंजरी निधि गुल, उपाध्यक्ष नरेंद्र वैष्णव सक्ति, सचिव गजेंद्र हरिहारनो दीप, उपसचिव यू. के, से किशोर जैन व पटल के साधकों की उपस्थिति ने कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिये।
सभी वरिष्ठ साहित्यकारों, गुणीजनों के स्वागत के साथ ही संचालिका रीता लोधा ने काव्य गोष्ठी का शुभारंभ किया, जिसमें मुख्य अतिथि राजश्री शर्मा ने दीप प्रज्वलन के साथ मंत्रोच्चार कर वातावरण को शुद्धता प्रदान की। तदुपरांत रीता लोधा के अतुल शंख नाद एवं व्यंजना आनंद मिथ्या की सुमधुर वाणी में प्रस्तुत माँ वीणापाणी की आराधना ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया । साथ ही दिल्ली की उषा साह ने शिव गीत पर अनुपम व मनमोहक शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया।
महेश दादा की आज्ञा से हमारे देश के विभिन्न पर्वों पर प्रकाश डालते हुये संचालिका रीता लोधा ने काव्य गोष्ठी का आरंभ किया । सच हमारे यहाँ पर्व व त्यौहारों के कारण पूरे वर्ष उत्सव का माहौल बना रहता है । नित-प्रतिदिन मेले लगे रहते हैं । मनीषा अग्रवाल प्रज्ञा, डॉ ज्योति सिंह बेदी, पायल अग्रवाल छनक, प्रेम शर्मा, शोभा पाराशर, सविता वर्मा उषा, पुष्पा निर्मल , नीलम अग्रवाल, कविता झा काव्या अविका, ममता यादव, सविता खंडेलवाल, सुषमा शर्मा श्रेणिका, डॉ कवि कुमार निर्मल एवं रीता लोधा इन सभी साधकों ने विभिन्न छंदों के माध्यम से आँचलिक व राष्ट्रीय पर्वों को पटल पर जीवंत कर दिया ।
तत्पश्चात् पटल गुरु राजकुमार छापड़िया, नरेंद्र वैष्णव सक्ति, निशा अतुल्य, अनुराधा पारे , कविता झा अविका, व्यंजना आनंद मिथ्या, आ. महेश जैन ज्योति , सभी ने अद्भुत, लाजवाब व अनुपम काव्य पाठ कर सभी श्रोताओं को छंदमय सरस कविताओं के सागर में गोते लगाने को मजबूर कर दिया।
मुख्य अतिथि राजश्री शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि, हमारे पर्व हमारी धरोहर हैं। जो भावी पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़े रहने में सहायक होंगे। इसीलिये हम आज भी अपनी परंपराओं का पालन करते हैं , जो हमें परिवार व समाज के साथ चलने को मजबूर करते हैं। महिलाएं ही परिवार का वो सशक्त स्तम्भ हैं जो उम्र के साथ-साथ इन पर्वों की भी माला अपने अंतस् में पिरो लेती हैं। आ.महेश दादा ने कहा कि छंद एक साधना है,वेदांग हैं। साधक व्यवधान आने पर विचलित हो जाते हैं पर धैर्य के साथ विधान का पालन करते हुये लेखन करें तो सफलता अवश्य ही मिलेगी।
अंत में व्यंजना आनंद मिथ्या ने कहा कि आज की काव्य गोष्ठी स्वयं में अभूतपूर्व व लाजवाब रही जिसमें साधकों ने छंदयुक्त रचनाओं को लय में गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। पटल गुरुजनों का निःस्वार्थ सहयोग व साधकों की लगन अवश्य ही रंग लाती हैं। सभी पटल गुरुजनों, उपस्थित साहित्यकारों व पदाधिकारियों ने कार्यक्रम के साथ साधकों की भी भूरि-भूरि प्रशंसा की। सर्वाधिक प्रशंसा की पात्र आज की संचालिका रीता लोधा रहीं, जिन्होंने प्रत्येक पर्व कि विशिष्टता को अपने संचालन में समाहित कर सबका मन मोह लिया। अंत में पटल संस्थापिका व्यंजना आनंद मिथ्या ने धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की।