आओ बच्चों सीख सिखाऊँ, चूहा-बिल्ली (बालगीत)
✍️ सुखविंद्र सिंह मनसीरत, खेडी राओ वाली (कैथल)
******  /// जगत दर्शन न्यूज  ******
आओ बच्चों सीख सिखाऊँ
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आओ बच्चों  सीख सिखाऊँ,
एक  पते   की  बात  बताऊँ।
पढना-लिखना काम तुम्हारा,
जग  में  होगा  नाम  तुम्हारा,
ऐसा  सदा  विश्वास दिलाऊँ। 
एक  पते  की  बात  बताऊँ।
खेलो - कूदो  मौज मानाओ,
खूब  खुशी  से  नाचो गाओ,
मधुर मधुर  सा गीत सुनाऊँ।
एक  पते  की  बात  बताऊँ।
मात -पिता का मानो कहना,
प्रेम प्यार से मिल कर रहना,
फूलों  की  बरखा  बरसाऊँ।
एक  पते  की  बात  बताऊँ।
विद्या धन अनमोल खजाना,
लक्ष्य  पर ही साधो निशाना,
मंजिल तक सदैव पहुँचाऊँ। 
एक  पते  की  बात  बताऊँ।
मोबाइल की  बड़ी लत बुरी,
शिक्षा ही है जीवन की धुरी,
बुरी बातों  से  ध्यान हटाऊँ।
एक  पते  की  बात  बताऊँ।
मनसीरत  बलिहारी  जाऊँ,
तुझ मै सारी  खुशियाँ पाऊँ,
सीधी -  साधी  राह लगाऊँ।
एक पते  की  बात  बताऊँ।
आओ बच्चों सीख सिखाऊँ,
एक  पते  की  बात  बताऊँ।
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चूहा-बिल्ली (बालगीत)
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चूहे   पीछे  भागी  बिल्ली,
आगे  चूहा  पीछे  बिल्ली।
मोटा – ताजा तगड़ा चूहा,
खाते – पीते घर का चूहा,
बिल्ली  ने दिखाई दिल्ली।
आगे  चूहा  पीछे  बिल्ली।
आँख बचाकर भागा चूहा,
भाग्य से था अभागा चूहा,
इज्ज़त की उड़ाई खिल्ली।
आगे  चूहा  पीछे  बिल्ली।
दुम उठाकर झट से भागा,
गहरी सोया नींद से जागा,
चूहे की मौसी  थी बिल्ली।
आगे  चूहा  पीछे  बिल्ली।
मनसीरत ने देखा  तमाशा,
बिल्ली हाथों लगी निराशा,
कोने जा कर बैठी बिल्ली।
आगे  चूहा  पीछे   बिल्ली।
चूहे  पीछे  भागी  बिल्ली।
आगे  चूहा  पीछे  बिल्ली।
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