राष्ट्रप्रेम पत्रिका भारतीय शास्त्रीय कला पद्धति का हुआ सफल प्रकाशन!
सारनी बैतूल (मध्यप्रदेश): राष्ट्रप्रेम पत्रिका के सप्तम् अंक भारतीय शास्त्रीय कला पद्धति का प्रकाशन मंगलवार को मनसंगी साहित्य संगम द्वारा किया गया। मनसंगी राष्ट्रप्रेम पत्रिका का उद्देश्य राष्ट्रप्रेम को बढ़ावा देना हैं, जिसमें श्रेष्ठ रचनाकारों ने हृदय में समाहित अपने भावों को गीत, कविता, आलेख इत्यादि के माध्यम से पत्रिका में उड़ेला है।
मनसंगी साहित्य संगम के संस्थापक अमन राठौर"मन" एवं सहसंस्थापिका मनीषा कौशल ने बताया कि संगीत किसी भी संस्कृति की आत्मा होती है और भारत मे संगीत की सुदीर्घ परम्परा रही है। पृथ्वी पर नारद मुनि ने संगीत कला का शुभारंभ किया था। भारतीय सांस्कृतिक परम्परा में नृत्य को दैवीय महत्व प्रदान करने की बात उजागर होती है।
मनसंगी साहित्य संगम के अध्यक्ष सत्यम दिवेद्वी ने सरस्वती वंदना देकर पत्रिका को सफल बनाने में विशेष योगदान दिया है।प्रस्तावना जागृति शर्मा, व संपादकीय पृष्ठ दीपमाला साहू ने दिया हैं। राष्ट्रप्रेम पत्रिका में संकलक जागृति शर्मा एवं सम्पादिका के रूप में दीपमाला साहू का विशेष योगदान रहा है। इन्होंने बताया कि
हमारी भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में आज भी प्राचीन परंपराएं विद्यमान है। यहां ईश्वर की पहचान भी सुर ताल, लय, संगीत, नृत्य से जुड़ी है। तांडव नृत्य हो या लास्य नृत्य,रासलीला हो या रामलीला, सभी शास्त्रीय कलाओं का मह्त्व आज भी है।
इस पत्रिका में रचनाकारों ने अपनी स्वरचित रचनाओं से संकलन को नया आयाम दिया, जिसमे प्रीति चौधरी'मनोरमा', मुकेश कुमार दुबे दुर्लभ, डॉ.रामशरण सेठ, जुबैर खान, सीमा पोद्दार, ऋतु अग्रवाल, दिव्यांशु पांडेय"बिट्टू बागी" माणक चौहान, रामेंद्र नायक गब्दी, भावना मिश्रा, मीनाक्षी पाल, चंचलिका, अभिषेक रंजन, हरि प्रकाश गुप्ता सरल जयश्री पांडेय, बलराम यादव देवरा डॉ. राधा दुबे, ज्योति सोनी सीमा गुप्ता, कु. फोरम.आर.मेहता, सुरंजना पांडेय, मनजीत, त्रिभुवन गौतम का योगदान रहा। सभी रचनाकारों के सहयोग एवं सम्पादक मंडल के अथक परिश्रम से इस सुनियोजित पत्रिका को आयाम मिला।