श्रध्दा और विश्वास एक दूसरे के पूरक हैं!
श्रध्दा विश्वास रूपिणे - मंहत चेतननाथ जी महाराज
राजस्थान: (संवाददाता सुरेश सैनी)- मुकंदगढ स्थित श्री सिध्देश्वर महादेव मंदिर व आश्रम मे श्री श्रध्दा महोत्सव की तैयारियां अपने यौवन पर है। सनातन धर्म के इस महान आध्यात्मिक पर्व को लेकर मंहत चेतननाथ जी ने बताया कि जैसे गुरू महाराज का नाम श्रद्धेय मंहत श्रध्दा नाथ जी था। उसके अनुरूप ही श्रध्दा विश्वास रूपिणे अर्थात जब मानव के प्रति परमात्मा के प्रति श्रद्धा और भक्ति हो जाए तो विश्वास रुपी शिव प्राकट्य होता है। श्रध्दा और विश्वास एक दूसरे के पूरक हैं। श्रध्दा के बीज से ही ज्ञान का पेड़ अंकुरित होता है यह तपोभूमि नाथ सम्प्रदाय के महान संत श्रध्दानाथ जी की तपोभूमि है।
इस मंदिर आश्रम जो शिवलिंग है उसका वजन करीब 260 किलो है। जब इसको प्राण प्रतिष्ठा के लिए लाया गया तो इसके उपर स्वत ही पानी की बूंदें गिर रही थी तभी इसका नाम सिध्देश्वर महादेव शिवलिंग पड़ा। इसकी प्राण प्रतिष्ठा नाथ सम्प्रदाय के अध्यक्ष योगी आदित्यनाथ के कर कमलों द्वारा की गई है। उन्होंने आगे कहा कि तप की महिमा तुलसीदास जी ने भी बताई है।
तब बल ते जग सुजई विधाता
तब बल विष्णु भए परिजाता
तब बल शंभु करिहिं संघारा
तप ते अगम न कछु संसारा
ऐसी मंहत श्रध्दा नाथ जी की तपोभूमि जिसको अपने तप के बल से इसको पवित्र भूमि बना दिया व इसके नमन मात्र से ही लोगों को सुख की अनुभूति होती है। इसी भूमि पर अधिक मास में शिव महापुराण कथा के आयोजन के साथ ही 108 कुण्डीय महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। मंहत चेतननाथ जी ने बताया कि सनातन धर्म मे यज्ञ का एक विशिष्ट स्थान होता है इसके करने से वायुमंडल व आत्मा में शुद्धता आने के साथ ही मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस महान धार्मिक आयोजन के समन्वयक विप्र समाज के महेश बसावतिया ने बताया कि कलश यात्रा में पांच हजार मातृशक्ति अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेगी। शेखावाटी की धरा पर यह सनातन धर्म व अध्यात्म के रूप में यह ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन होगा। इस आयोजन को विहंगम रूप देने में बालकिशन गोयनका व सुरेश शर्मा मनफरा निवासी व अहमदाबाद प्रवासी विशेष रूप से लगे हुए हैं। बसावतिया ने सभी धर्मपरायण महानुभावो से इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने आह्वान किया।