हिंदी महिला समिति द्वारा आयोजित हुआ
'याद उन्हें भी कर लो जो लौटकर फिर ना आए!'
नागपुर (महाराष्ट्र): हाल ही में नागपुर संस्था की अग्रणी प्रतिष्ठित संस्था का अत्यंत रोचक व भावात्मक धमाकेदार कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसे संस्था की बहनों ने उत्साहपूर्वक किया। फिल्म संसार के वो कलाकार जो आज भी अपने देश व विदेश में मरणोपरांत भी सबके दिल दिमाग पे राज करते हैं। जिनको भूलना हमेशा असंभव ही रहेगा। उन्हीं के अभिनय, डायलांग व गीत, नृत्य को बहनों ने हुबहूं बड़ी खूबसूरती व प्रभावी ढंग से मंच पर ही प्रस्तुत कर वाहवाही बटोरी। एक से एक बहुत ही लाजवाब प्रस्तुती रही।
आरंभ में कर्नाटक से ही भगवती पंत ने आकर शंखध्वनि कर सरस्वती वंदना वीणावादिनी वर दे गाकर वातावरण को अपनी मधुर आवाज से गुंजायमान कर दिया। आस्ट्रेलिया मेलबर्न से आमंत्रित अतिथि, जज का पुष्प गुच्छ से दीप को प्रज्ज्वलित कर स्वागत किया। सुमन जैन ने अतिथि पद स्वीकारा एवं अध्यक्षा रतिचौबे ने किया व सभी अतिथियों का परिचय दिया।
याद उन्हें भी करलो जो लौटकर फिर ना आए! गुंजा देती थी जिनकी आवाजें और वो प्यारे से अभिनय, भूल नहीं पाये हैं, अभी तक, दिल दिमाग में छाए हुए हैं। गाकर संयोजिका व संचालिका के रुप में कार्यक्रम को शुरू किया। सर्वप्रथम आई मंच पे बीते जमाने की मशहूर अदाकारा नादिरा के रुप में रश्मि मिश्रा अपने खूबसूरत अंदाज से सबको लुभा ही गई। फिर आई अपनी अनोखी अदाओं के साथ सुंदर नृत्य करती गीता शर्मा सब वाह वाह कर उठे। श्रीदेवी को साकार कर गई गीता। तभी आये प्रसिद्ध हास्य अभिनेता 'महमूद' मंजू पंत के रुप में और अपनी लुंगी संभाले पूरे मंच पर शोर मचा दिया। गजब का अभिनय कर मंजू पंत तो सबको हंसा हंसा कर पागल कर गई। फिर महमूद के बाद नरगिस के सुंदर रुप को एक गीत के साथ 'आजा सनम' गा कर लुभा की रेखा तिवारी और जब नूरजहां बनी हुई मधुबाला श्रीवास्तव ने अपनी मधुर आवाज में उनका गीत गाया तो सभी मुग्ध हो गए। गीत रहा 'हंसी है जमाना'। तभी 'मोना डार्लिंग' के
डायलॉग बोलते आगए गुजरे जमाने के 'अजीत' खलनायक सुषमा अग्रवाल के रुप में। बड़ी अपनी अकड़ में हाथ में पिस्तौल लिए तो भला पाकीजा की प्यारी मीना कुमारी कहां चुप रहती। आ गयी अपनी नृत्य अदा से पुकारती 'मुझे कोई मिल गया था सरे राह' तभी 'रीना राय' आ गई। अपने कुछ बोल डायलॉग के रुप में ले पूनम मिश्रा के रूप में सब को मजा आ रहा था। तो 'मैं तो तुम संग नैन मिला कर' देविका रायपुरे डा उठी। जब मंच पर आए दिलों पर राज कर ने वाले 'राजकपूर' क्या कहें देख उनका अभिनय और वो हंसी जो आज भी कोई नहीं भुला उसे साकार कर दिया अपने अंदाज में कविता परिहार ने। वाह! काबिले तारीफ रही। वो अभिनय, तभी वो मशहूर गायक, जिसे भले नही जिसपर दुनिया दीवानी थी। 'मोहम्मद रफी' के रूप में आकर सरोज गर्ग के रुप आकर 'चौहदवीं का चांद हो या आफताब' गाकर मंच पे उपस्थित सभी को भावविभोर कर दिया।
तो भला वह अदाकारा जिसपर लोग पागल थे 'मधुबाला' आ गई अमिता शाह के रुप में। 'मोहब्बत की झूठी कहानी पे रोए' गाते हुए और अपनी अदा से सभी को खुश कर गई। फिर 'निगाहें मिलाने को जी चाहता है' आगई किरण हटवार नूतन के एक खूबसूरत है अंदाज में सबकी वाह वाही लेने।
अंत में मुख्य अतिथि व निर्णायक के रूप में अपने सुंदर प्रभावी व्यक्तत्व में सुमन जैन ने कार्यक्रम की प्रशंसा की। साथ ही अनुरोध पर एक भावपूर्ण लता मंगेशकर पर अपनी स्वरचित कविता सुनाई, जिसमें लताजी के जन्म से अंत तक के भावों को बहुत ही भावविभोर हो सुना कर अपना निर्णय सुनाया। प्रथम महमूद मंजू पंत, द्वितीय राजकपूर कविता परिहार तथा तृतीय सरोज गर्ग मोहम्मद रफी को विजेता बनाया गया। अंत में अध्यक्षा ने विजेता रहे प्रथम नादिरा बनी रश्मि मिश्रा, द्वितीय मीनाकुमारी बनी संतोष बुधराजा, तृतीय नूरजहां बनी मधुबाला श्रीवास्तव एवं श्रीदेवी बनी गीता शर्मा।
अंत में आभार दिया कार्याध्यक्ष डा चित्रा तूर ने होस्ट रेखा पांडे का आभार व्यक्त किया।