पत्रकार मनीष कश्यप पर मुकदमा अलोकतांत्रिक: मनोज कुमार सिंह
पटना (बिहार): तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों पर कथित रूप से हुए हमले के मद्देनजर सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाकर पत्रकार मनीष कश्यप पर बिहार की पुलिस द्वारा किया गया मुकदमा अलोकतांत्रिक है। तमिलनाडु पर मजदूरों पर हुए हमले की खबर पर बिहार के सीएम व डिप्टी सीएम के बयान में विरोधाभास की बू आ रही है। यह कटु सत्य है कि वेब पोर्टल चलाने वाले सभी लोग पत्रकार नही हैं। यह भी सत्य है कि वेब पोर्टल की सहायता से कथित पत्रकारों के साथ साथ राजनीतिक दल अपनी भी दुकान चला रहे हैं। भारत के संविधान में सूचना पाने के अधिकार के तहत कोई भी नागरिक जिम्मेवार लोगों से सवाल पूछने का अधिकार रखता है। अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति ने अपने अधिवेशनों के माध्यम से कई बार यह सवाल उठाया है कि सरकार पत्रकारिता का मापदंड निर्धारित करे ताकि पत्रकार व गैर पत्रकार में स्पष्ट अंतर किया जा सके।
पत्रकारिता को परिभाषित किया जाना तथा संविधान संशोधन के माध्यम से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाना वर्तमान समय की मांग है। पत्रकार मनीष कश्यप के ऊपर किये गए मुकदमें की हम भर्त्सना करते हैं। साथ ही पत्रकार मनीष कश्यप को यह सलाह भी देते हैं कि किसी भी नेता को नेतागिरी कराने का प्रलोभन अथवा उसकी नेतागिरी चौपट करने की धमकी देना पत्रकारिता के दायरे में नही आता। पत्रकारिता के माध्यम से जनता को जगाकर उनका अधिकार दिला कर धमाका करना हमारा दायित्व है। सीएम और पीएम निर्वाचित विधायक और सांसद चुनते हैं अकेले पत्रकार नही चुनते। मैं माननीय मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूँ कि मनीष कश्यप सरीखे पत्रकारों पर मुकदमा करके उनको प्रताड़ित करने के बजाय प्रदेश में पत्रकारिता का मापदंड निर्धारित करके पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की घोषणा करें ताकि कुकुरमुत्ते की तरह उग रहे अप्रशिक्षित तथाकथित पत्रकारों की पत्रकारिता से बिहार की साख को विनष्ट होने से बचाया जा सके तथा मूल पत्रकारिता को उसका वाजिब सम्मान लौटाया जा सके।
नोट: लेखक मनोज कुमार सिंह, एबीपीएसएस के बिहार राज्य के प्रदेश संयोजक है तथा यह इनका अपना निजी मत है।