गांधी मैदान में रैली करने से बिहार नहीं सुधरेगा, यहां जमी काई को छुड़ाने के लिए गांव-गांव जाना पड़ेगा: प्रशांत किशोर
सारण (बिहार): जन सुराज पदयात्रा के दौरान सारण के अमनौर में आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि हम बिहार के गांव-गांव जा रहे हैं। यह एक दिन का काम नहीं है और न ही आसान काम है। पिछले 177 दिनों से पैदल चल रहे हैं, अभी केवल 5 ही जिले हुए हैं और 33 जिले बाकी रह गए हैं। इसमें एक डेढ़ साल का समय लग जाएगा। लोग कहते हैं कि 100-200 लोगों के साथ पैदल चलने से क्या होगा? गांधी मैदान में बड़े जनसैलाब वाली रैली करो सब ठीक हो जाएगा। मैं उन लोगों को कहता हूं कि गांधी मैदान में रैली करने से बिहार की स्थिति नहीं सुधरेगी, क्योंकि यहाँ के नेताओ ने आपके दिमाग पर जो जाति और धर्म की काई जमा दी है वो इतनी मोटी है कि उसकी वजह से आपको अपने बच्चों का दर्द भी नहीं दिखाई देता हैं। फर्श पर जमी हुई काई को छुड़ाने के लिए झाड़ू से रगड़ना पड़ता है उसी तरह गाँव-गाँव जाकर आपको समझा रहें हैं रैली नहीं कर रहे है।
जाति-धर्म और नाली-गली पर अगर वोट करते रहेंगे तो बिहार और आपके बच्चों की स्थिति कभी नहीं सुधरेगी: प्रशांत किशोर
जन सुराज पदयात्रा के दौरान सारण में आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि अपने और अपने बच्चों की चिंता कीजिए। कोई नेता या कोई दल आपके बच्चों की चिंता नहीं करेगा। आपको अपने बच्चों की चिंता नहीं है, आपका बच्चा पढ़ लिखकर घर में बेरोजगार बैठा है, कहीं 10-12 हजार के लिए फैक्टरी में जाकर मजदूरी करता है। लेकिन आपको अपने बच्चे की चिंता नहीं है। आप तो भारत - पाकिस्तान के नाम पर वोट देते हैं, अमेरिका में मोदी जी के स्वागत होने पर वोट देते हैं। कभी लालू जी के लड़के को मुख्यमंत्री बनाना के लिए वोट देते हैं। आप सब बात पर वोट देते हैं, लेकिन अपने बच्चे के लिए कभी वोट नहीं देते हैं। आप यही समझ रहे हैं कि पिछले 50 सालों में सभी दल और नेताओं को वोट देकर देख लिया, एक बार अपने बच्चे के लिए वोट कीजिए। अपने बच्चों के लिए खड़े होइए। अन्यथा लिखकर रख लीजिए अगर आप नहीं सुधरेंगे और जाति-धर्म और नाली-गली पर वोट करते रहेंगे तो आपका जीवन जिस बदहाली में बीता है, उसी बदहाली में आपके बच्चों का जीवन बीतेगा।