दाद (रिंगवार्म): कारण, बचाव और इलाज
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व्यंजना आनन्द 'मिथ्या'
स्वास्थ्य और योग प्रशिक्षिका
/// जगत दर्शन न्यूज़
होने का कारण:::
दाद फंगल के संक्रमण के कारण होता है, यह फफूंदी जैसा परजीवी बाहरी त्वचा की कोशिकाओं में पनपता है। यह बड़ी ही आसानी से तथा कई तरीकों से फैल सकता है। अगर किसी जानवर को दाद हुआ है तो उस जानवर को स्पर्श करने से भी दाद का संक्रमण मनुष्ण के शरीर में फैल सकता है या किसी संक्रमित व्यक्ति के कपड़े व्यवहार करने से भी। साथ ही सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण कारण होता है शरीर के वो अंग जो गीले होते है यक जहाँ पसीना हमेशा बना रहता हैं।
इसका रूप:::
इसमें त्वचा पर लाल रंग के रिंग याने छल्ले जैसे चकत्ते हो जाते हैं। ये चकत्ते शरीर में कहीं पर भी हो सकते हैं सिर, पैर, पेट, गाल, पीठ और जांघ के बीच का हिस्से आम हैं।
ध्यान दें::::
ध्यान देने वाली बात यह है कि इसे बाह्य दवा से मिटाने की चेष्टा न कर दवा के भीतरी प्रयोग से ही ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि, इसके इलाज के दौरान उपयोग में आने वाली दवाओं के कुप्रभाव से रोग तो जड़ से ठीक नहीं होते बल्कि स्थाई पेट की गडबड़ी, अस्थमा, कान में मवाद, नाक से हमेंशा पानी चूना, हृदय रोग, रक्तपित्त और टीवी आदि जैसे बीमारियों के हम रोगी हो जाते हैं।
दाद खाज खुजली किसकी कमी से होता है?
स्किन के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है. बॉडी में अगर विटामिन डी की कमी हो जाए तो स्किन में ड्राइनेस, खुजली, जलन जैसी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
प्लीहा / तिल्ली / स्प्लिन यह पेट में स्थित ऐसा अंग है जो पुराने लाल रक्त को नष्ट कर नये रक्त का भंडार करता है। साथ ही हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है। इसकी गडबड़ी भी त्वचा रोग की वजह होती है।
अपने इस अंग को ठीक रखने के लिए पुराना चावल, खजूर, बथुआ, अरहर की दाल, परवल, हींग, सेंधा नमक का व्यवहार करना चाहिए। मांसाहार, मल-मूत्र को रोकना, सूखा साग आदि अंग को खराब करता है।
दाद होने पर क्या क्या नहीं खाना चाहिए?
*मसालेदार और जंक फूड से परहेज रखें।
* डेयरी प्रोडक्ट्स
* खट्टा खाना बढ़ा सकता है परेशानी
* तिल के सेवन से बचें
* गुड़ या मीठा का सेवन भी नुकसानदायक है।
* दही छूटा हुआ दाद को पुनः पुनर्जीवित कर देता है।
बचाव:::::
जिन लोगों को संक्रमण है, उनके संपर्क में आने के बाद लोगों को दाद हो सकता है। संक्रमण फैलने से बचने के लिए, दाद वाले लोगों को कपड़े, तौलिये, कंघी, या अन्य व्यक्तिगत वस्तुओं को अन्य लोगों के साथ साझा नहीं करना चाहिए।
स्थाई इलाज :::
1) इंच कच्ची हल्दी (छिलका हटाकर) + 12 नीम के कोमल पत्ते + थोड़ा गुड़ के साथ अच्छे से चबाकर पूरा निगल जाएं। चार दिन लगातार सुबह खाली पेट करें फिर अगले सप्ताह करें, इस तरह इसे आप चर बार दोहरा लीजिए। वसंत ऋतु में सभी इसका व्यवहार चार दिन कर लेंगे तो त्वचा संक्रमण से वो बचे रहेंगे साथ ही साल भर चेचक रोग की संभावना भी खत्म हो जाती है।
2) साबुन का व्यवहार न करें। इसके बदले नीम की पत्ता थोड़ा फिटकरी डालकर पानी खौला लें ठंडा होने पर इसी पत्ती से त्वचा रगड़कर उस पानी से नहा लें।
3) नहाने के बाद त्वचा पर नीम का तेल अवश्य लगाएं।
4) त्वचा को सुखा रखें (अंदर के कपड़े को तीन बार बदलें)
उपयोगी आसन:::
- गोमुखासन, अग्निसार मुद्रा, योगमुद्रा, दीर्घ प्रणाम, भुजंगासन।
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