कवितालोक साहित्यांगन के चित्र आधारित सृजन प्रतियोगिता में चयनित तीन श्रेष्ठ रचनाएं!
रचना: निशा अतुल्य
गीत
कुसमाकर है आए जब से, भँवरे बागों में डोले।
फूल-फूल को चूम रहे है, लगते कितने है भोले।।
सजी हुई है बगियाँ प्यारी, तितली पर फैलाती है।
मधुमय सारा जीवन लगता, डाल डाल उड़ जाती है।।
ढूँढ रही है देख पिया को, राज हिया के है खोले।
फूल-फूल को चूम रहे है, लगते कितने है भोले।।
पीली पीली सरसों खिलती, गेंदा झूमें है क्यारी।
रंग बिरंगे इंद्र धनुष से, सजे हुए है जो भारी।।
नैनो में सपने सजते हैं, पूरे होते हैं होले।
फूल-फूल को चूम रहे है, लगते कितने है भोले।।
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रचना: राधिका सरावगी
चित्र आधारित दोहे
फूल गुलाबी देख के, भँवरे डोले बाग।
पाने अपनी प्रीत को, जागा है अनुराग॥
होता है मदहोश वो, आतुर पाने रंज।
कुसुम कली का रूप भी, मानो कसता तंज॥
काया काली हो भले, साची मेरी प्रीत।
मिलन प्रतिक्षा मैं करूँ, मानो अपना मीत॥
करे सुगंधित बाग ये, बहती हुई बयार।
भीनीं भीनीं मंजरी, पाटे सभी दरार॥
मतवाला होता भ्रमर, हौले बैठा पात।
गीत मिलन के गा रहा, बीती जाती रात॥
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रचना: सविता खण्डेलवाल
चित्र आधारित सृजन दोहे
फूल गुलाबी बाग में, खिला हुआ है रंग।
सुंदरता ये देख के, होता भंवरा दंग।।
बैठा भंवरा फूल पे, करता है रसपान।
ले जाता मकरंद ये, फूल कहाँअन्जान।।
भौरे की गुंजार से, शोभित है बागान।
प्रीत गान ये मानता, फूल बड़ा नादान।।
फूल फूल पर बैठता, चंचल भ्रमर स्वभाव।
करे गंध मदहोश फिर,खोता प्रेम पड़ाव।।
कहे भ्रमर क्या फूल से, बना हुआ है राज।
करे प्रणय स्वीकार ये, भूले अपना साज।।
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