साहित्य दर्शन
इस पोस्ट से प्रेरित होकर मैंने चंद पंक्तियाँ लिखीं हैं!
✍️ निरेन कुमार सचदेवा
प्रेस्टिज अगस्ता गोल्फ विलेज,
विला 51, बेंगुलुरू
/// जगत दर्शन न्यूज़
तुम्हें भुलाने की ताक़त नहीं है!
अगर तुम कहो तो मैं ख़ुद को भुला दूँ,
तुम्हें भुलाने की ताक़त नहीं है………….।
तुम कहो तो अपने आप को गवाँ दूँ,
तुम्हें गँवाने की ताक़त नहीं है।
तुम चाहो तो सूली पर चढ़ जाऊँ,
लेकिन तुम्हें परखने या आज़माने की ताक़त नहीं है।
सितम ढा ले दुनिया,
लेकिन फिर भी तुम्हारा रहूँगा……..
मुझ से छीन ले तुम्हें,
ख्यालों में ही सही,
ज़माने में इतनी ताक़त नहीं है।
डर लगता है कहीं तुम ना ना कह दो, इसीलिए तुम से नज़रें मिलाने की ताक़त नहीं है।
अगर तुम ना हुई मेरी,
तो ज़िंदा लाश बन जायूँगा…….
फिर ज़िन्दगी से कोई भी वादा निभाने की ताक़त नहीं है।
और अगर तुम ना हुई मेरी,
तो कुँवारा ही मर जायूँगा,
किसी और से दिल लगाने की ताक़त नहीं है।
बहुत कुछ कह दिया मैंने,
अब तू गौर करना,
अब तुझे और समझाने की मुझ में ताक़त नहीं है।
तेरी बेरुख़ी के कारण आँसुओं की झड़ी लग चुकी है,
अब किसी में भी मुझे हँसाने की ताक़त नहीं है।
हसीनों और नाज़नीनों के तो मेले लगे हुए हैं,
लेकिन किसी और को दिल में बसाने की ताक़त नहीं है।
बस अब और ना लिख पायूँगा मैं,
बहुत टूट चुका हूँ,
अब कलम को स्याही में डुबाने की ताक़त नहीं हैं………….।
क्या मेरा अंत क़रीब है,
ये अब तुझ पर निर्भर करता है……….
क्यूँकि अब दिल को और ज़्यादा दुखाने की ताक़त नहीं है…………!
How does one go in life with a broken heart 💔, a shattered heart ???