★★ जगत दर्शन साहित्य ★★
◆ काव्य जगत ◆
तेरी महिमा गाई है....
बिजेन्दर बाबू
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अपने मन के मंदिर में माँ,
मूरत तेरी सजाइ है।
मन वीणा के झनकार से माता,
तेरी महिमा गाई है।।
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सब कुछ तेरा दिया है माता,
अपना कुछ भी पास नहीं
तुझ बिन साथी मिले मुझे ये,
मुझको तो विश्वास नहीं
तेरा तुझको अर्पण करके
मैंने सब कुछ पाई है
अपने मन के मंदिर में माँ,
मूरत तेरी सजाई है।।
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धन दौलत कुछ साथ नहीं है,
भक्तिभाव का ज्ञान नहीं
तेरे नाम से जाना जाऊं,
है अपनी पहचान नहीं
तेरी भक्ति में माता
मैंने सर्वस्व लगाई है
अपने मन के मंदिर में माँ,
मूरत तेरी सजाई है।।
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हे देवी अब दया करो,
तुम अपने शरण लगाओ।
मेरे उर का तिमिर हटाके,
ज्ञान की जोत जगाओ।
जग से ठोकर खाकर मैंने,
तेरी आस लगाई है
अपने मन के मंदिर में माँ,
मूरत तेरी सजाई है।।
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बिजेन्द्र कुमार तिवारी
(बिजेन्दर बाबू)
गैरतपुर, मांझी
सारण, बिहार
मोबाइल नंबर:-7250299200