बिहार में नियोजित शिक्षकों का वेतन का मामला हमेशा से विवादास्पद रहा है। बिहार सरकार के द्वारा घोषित वेतन वृद्धि के बेसब्री से इंतेजार कर रहे शिक्षकों एवम बिहार सरकार पर सोसल मीडिया में एक कॉमेंट वायरल हो रहा है जिसे पढ़ कर आप हँसे और फारवर्ड किए बिना नही रह सकते।
नई बहुरिया और 15% की बढ़ोतरी
शादी के सातवे दिन आज फिर से घर मे संगीत का कार्यक्रम शुरू हो गया था। आज बिट्टू के नई दुल्हन के 'चूल्हा छुआई' का रस्म होना था। आज रात का खाना नई दुल्हन ही बनाने वाली थी। पकवानों की फेहरिस्त बनी और पूरे जोश के साथ आवश्यक चीज़े जुटाई गई। दिन बीतने के साथ भुक्खड़ो की क्षुधा और बढ़ती जा रही थी।
पीली सारी में सजी नई दुल्हन के इस रस्म की शुरुआत 'सिलौटी' पर हल्दी पीसने से की गयी। और बिट्टू की माताजी इस 'रॉकेट साइंस' को बखूबी समझाए जा रही थी। दरवाजे की आड़ से बिट्टू अपनी नई बहुरिया को ऐसे निहार रहा रहा जैसे 'हल्दी पिसाई' का यह अलौकिक दृश्य आज से पहले 'ऐसे' न कभी हुआ है और न 'ऐसे' कभी होगा। फिर अगले तीन घंटे नई बहुरिया को रसोई में अकेले छोड़ दिया गया और नई बहुरिया ने रसोईघर मे जो पायल छनकाए, जो चूड़ियां खनकाई, जो बर्तन बजाए है..... भूख बढ़ती गई सबकी।
आखिरकार लंबे इंतजार के बाद वो समय आ ही गया जब नई बहुरिया का हाथ चखने को मिलने वाला था। और वो समय भी आ गया जिसके लिए बिट्टू पूरे दिन से इंतज़ार कर रहा था। खाने की तारीफ के लिए उसने जो आज उपमा-उपमेय का रटंत लगाया था, उसके प्रयोग का वक़्त अब आ ही गया।
रस्म के मुताबिक पहली थाली बिट्टू की लगी। "थू.....…....…" पहला निवाला डालते ही बिट्टू की पहली प्रतिक्रिया। 'क्या है ये...?" सभी उपमाओं को दर-किनार कर एक खाँटी भारतीय पतियों वाली प्रतिक्रिया सहज रूप में बिट्टू के मुख से निकला।
"माजी ने कहा कि तुम्हे जो आता है वही बनाओ। मुझे हल्दी का काढ़ा आता था, उसी में पनीर मिला कर 'नया ट्राय' किया।" नई बहुरिया के इस अल्हड़ जवाब के साथ पूरे परिवार में एक हँसी तैर गयी। पर बेचारा बिट्टू सोच रहा था कि जब यही 'नया ट्राय' है तो ये आखिर तीन घंटो तक रसोई में ये पायल छनकाते हुए, चूड़ियां खनकाते हुए और बर्तन बजाते हुए कर क्या रही थी....!!!!!
बहरहाल बिट्टू का जो हाल हुआ वही आजकल बिहार के शिक्षको का है। पिछले लगभग 6-7 महीनों से नए शिक्षा मंत्री किसी कैलकुलेटर की बात कर रहे है जिस पर शिक्षको के 15% वेतन वृद्धि का 'कैलकुलेशन' किया जाना है। इस बीच दो बार डी०ए० का कैलकुलेशन हो चुका है लेकिन न जाने इस 15% की वृद्धि में कौन सा 'रॉकेट साइंस' लगा है जो सिर्फ इस विशेष कैलकुलेटर से ही हो सकता है जिसकी सूचना रोज शिक्षा मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस द्वारा देते है। बस डर इस बात का है कि माननीय जो इतना पायल छनका रहे है, चूड़ियां खनका रहे है, बर्तन बजा रहे है.... कहीं कुछ ऐसा ही 'नया ट्राय' न निकले। वैसे कल की खबर ये थी कि नए कैलकुलेटर का 'सफल ट्रायल' हो गया है।