★★ जगत दर्शन साहित्य ★★
◆ काव्य जगत ◆
● दीपावली है खुशियों की ●
सुनीता सिंह सरोवर
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काली रात अमावस की,
मन में मौज बहारों की,
चमकाएँ चमक सितारों की,
उत्साह भरें उमंगो की,
खुशियों के शुभ घेरों की,
सरहद पर डटे वीरों के,
तन्हाई के मेलों की,
मन से मन के भाव मिलाएं,
जगमग असली दीपों की,
खील बताशे फुलझड़ियो की,
सियाराम लखन के आवन की,
कौशल्या के नंदन की,
रंग बिरंगे झालर की,
तोरण बंधन अरिपन की,
जगमग असली दीपों की,
दीपावली है खुशियों की
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सुनीता सिंह सरोवर
देवरिया