माता तेरे द्वार पर
छोड़ के ना हमको जाना मईया,
तू हमारे पतवार की नईया,
तू हैं भक्तों की पालनकर्ता,
सबकी हैं मां तू दुःख हरता,
लाल-लाल तेरा श्रृंगार,
आए सब माता तेरे द्वार पर।
सिंहवाहिनी मां तू भवानी,
तेरे ही गान करे जगप्राणी,
सारी दुनिया तूने ही रचाई,
सब पर महिमा तेरी हैं,
सूरज -चंदा तेरे सहारे,
सप्तऋषि और सारे तारे,
आई हैं नव दिनों की नवरात्री,
सब आए माता तेरे द्वार पर।
मां तू मस्तक का चंदन,
तू हम सब का वंदन है,
चांद जैसी तू शीतल,
फूलों से भी कोमल,
मेरी मईया रानी हैं,
सीता सी सहनशील तू,
राधा जैसी प्रेमिका हैं,
छल कपट द्वेष का तू मां संहारकरता है ,
ब्रह्म, विष्णु, शिव की मां तू आदिशक्ति है,
राम के संग सिया बन,
कृष्ण की तू राधा है,
शिव की तू गौरी है,
तो विष्णु की लक्ष्मी तू हैं,
तूने जन्मा सारे जग को,
आंचल में अपने सुलाती मईया,
जब जब आए हम पर कोई पीड़ा
खुद मां हर लेती है,
हर बार हम सब आयेगे,
माता तेरे द्वारे पर!
संपादिका- जगत दर्शन साहित्य