आज इस पृथ्वी पर हर जगह त्राहिमाम है । कैसे इस से निजात मिले! चिंतनीय है। शिक्षक और कवि श्री बिजेन्दर बाबू प्रस्तुत करते है अपने रचना के माध्यम से एक विचार। आएं पढ़ें।
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🌿 जय श्री राम 🌿
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एक रावण के लिए, ली तूने अवतार।
दर-दर रावण घूम रहे, करते नहीं विचार।।1।।
चीर हरण होता यहां, निश दिन चारो ओर।
कोई नहीं सुनता सुनो, किसी अबला का शोर।।2।।
इज्जत लूटे नारी की, और जीव मारे जाते हैैं।
कहां छुपे हो राम तुझे, अब तनिक दया नहीं आते हैं।।3।।
त्राहिमाम करती है धरती, इनके अत्याचारों से।
दुखी हुए हैं जीव जगत के, अब निकृष्ट विचारों से।।4।।
समझ ना आए तेरे दर पे, कैसी ये लाचारी है।
क्या रावण की फौज आज, तेरी सेना पर भारी है।।5।।
सोच रहे हो सच्ची सेना आज कहां से पाएंगे।
भारत लखन अगर मिल भी जाएं, हनुमान कहां से आएंगे।।6।।
दया करो हे राम, देर अब तुम ना तनिक लगाओ।
कुंभकरण और मेघनाथ संग रावण मार गिराओ।।7।।
रचना:
बिजेंद्र कुमार तिवारी 'बिजेंदर बाबू'
संपादक भोजपुरी रोजाना
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