"जिंदगी न उम्र की होती है न किसी के आहट से होती है,
जिंदगी तो हौसले और कुछ करने की चाहत होती है।
मजाल वो रब जो हमे बुला ले,
जिंदगी तो हमारी हमारे दिल के राहत से होती है।
हमारी तो ख्वाइश दबे पांव तल को छूती है,
मेरी तकदीर तो मेरे कर्मो की बाबत बनती है।"
बी के भारतीय (प्रधान संपादक ,जगत दर्शन न्यूज़)
हिंदी साहित्य के वरिष्ठ कवियित्री किरण बरेली जी अपने जवां धुन की पक्की है। वो बताती है कि अभी तो कुछ दिन हुए मेरे अवतार के , अभी तो जिंदगी बनी है कुछ करने की । आएं देखें क्या कहती है किरण बरेली जी -
अभी तो बहुत कुछ बाकी है : किरण बरेली
कब तलक उम्र की फिक्र पाले,
कर्म की कितनी अधिक किस्त,
अदा करना अभी बाकी है।
कुछ खयाल जीवन के कोरे कागज पर उकेरा था,
रंग हकीकत के भरना अभी बाकी है।
क्यों आहिस्ता आहिस्ता चलती सांसों से खौफ खाए,
जिंदगी का शुकराना करना अभी बाकी है।
कब तक बेबसी कमजोरियों की करें गिनती,
कठिनाई को सरल करना अभी बाकी है।
क्यों रहे नाराजगी जन्म मरण से,
ओ जिंदगी तू हमें बार-बार मिलना,
चंद सांसों में अधूरी हसरतें अभी बाकी है।
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