स्वत्रंता दिवस पर विशेष
शहीद : प्रिया पांडेय "रौशनी"
शरीर आ चूका हैं,
आ गये तिरंगे में लिपटे अपने यार,
आप भी ऐसे आये हो कभी,
महज 22का नौजवान तिरंगे में लिपटा,
हुआ मिला आख़िरी बार,
माँ ने आख़िरी बार अपने बेटे को चूमा,
दे क़र अपना बलिदान,
क़र गये भारत महान,
आखिर आ ही गया,
वों निरदयी समय आ ही गया,
सपूतों को बलिदान देने का समय आ ही गया,
दिल में दुःख हैं और अपने सभी मर रहे,
गोलियों की आवाज़ और , तोपों की आवाज़ से आकाश भी रो पड़ा,
ऐ वीरों तुम अमर हो अमर रहोगे,
तूम गम ना करना अगर ऐ दुनिया तूझे भूल जायेगी,
हम जिन्दा बेकार हैं तेरी मौत की कीमत,
हम बेगारों से ना चुकाई जायेगी।
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प्रिया पाण्डेय "रोशनी
संपादिका साहित्य