★ सत्य का सूरज ★
सत्य का सूरज अस्त हो चला
उजालों की नाराजगी है, विवशता के कारावास में, आजादी का पर्व कैसे बनाएं?
टूटे सपने नए पुराने
गुम सभी अपने गम में, खुशियों के बंद हुए दरवाजे, आशा के नए द्वार बनाए ।
कहां खो गया भारत आजाद, बहुत खो चुके हैं हम सब, वेदनाओ का घिरा अंधियारा, आओ नवजागरण का अलग जलाएं।
निश्चल पावन हमारा देश था, गंदगी परत दर परत चढ़ गई, देश की नव पीढ़ी जागो, मिलकर सारे कलंक मिटाएं।
तनमन जंजीरों में जकड़ा ,
रुदल मन पीड़ा की कहानी, पुनः आजादी की शपथ ले ले।
उम्मीदों की नई किरण जगा ले।
मंदिर मस्जिद के अनर्गल विषयों से,
देश को बाहर निकलो ,
धारा की माटी चंदन जैसी,
मस्तक पर लगाओ,
देश का मान बढ़ाएं ।
ओ नव युवा साथियों,
आप ही भारत की तकदीर हो,
नई तरकीबों से इतिहास रचो।
गांधी के सपनों का हिंदुस्तान बनाएं।
गांधी बुद्ध अब जन्म नहीं लेते ,
उनके पद चिन्हों पर
पृथक पृथक राहों को मिलाकर ,
निर्मल गंगा का हरिद्वार बनाएं।
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