शिक्षक बी के भारतीय की 2003 की यह आठ पंक्ति की रचना आज के समाज मे संघर्ष रत आम आदमी और कुछ बड़े बड़े लोगों के द्वारा आम आदमी के सपने को कुचल देने की कहानी कहती है।
संघर्ष की बूटी माहूर बन गई : बी के भारतीय
माहुर बन गई ।
वसुंधरा की मोती के,
लहू कत्ल कर गई।।
आत्मा भटक रही,
अशांति फैल गई।
शांति चैन दबोच दवा,
मौत बन गई।।
हाथ पांव के खेल में,
देव का गुहार है।
यह प्राकृतिक नहीं,
मन का संहार है।।
दो घूंट की तरप से देव,
सौ घूंट छीन रहे ।
फिर लाख की चाहत में
रक्त भी पी रहे।।