हिंदी साहित्य में बहुत ही कम समय मे अपनी रचनाशीलता तथा काव्य शैली के कारण स्थान बनाने वाली कवियित्री प्रिया पांडेय 'रौशनी' जी का है।
संक्षिप्त परिचय
नाम : प्रिया पाण्डेय "रोशनी "
स्थान : हूघली, पश्चिम बंगाल
जन्म तिथि : 22/10/1999
पिता का नाम : स्वर्गीय राजकुमार पाण्डेय
माता का नाम : मंजू पाण्डेय
सम्मान पत्र : कलम रथ प्रमाण पत्र, जज़्बात दिल की आवाज से प्रमाण पत्र, कई संस्थाओ से प्रमाण पत्र प्राप्ति
संप्रति : संपादक जगत दर्शन न्यूज़ साहित्य
रचना : सुख -दुःख, दहेज़, अबकी होली घर जाना है, झील का दर्पण, मेरी माँ, रंगीन आशियाने,
जज़्बात, मेरी बिंदिया,अब मुझे जीने दो।
उनकी चयनित सर्वश्रेष्ठ कविताओं में में से एक कविता प्रस्तुत है।
अनन्य शौर्य का दीपक
अतुल, अनन्य शौर्य का दीपक,
अनुशासन से भरपूर हैं वों,
बेखौफ़ खड़ा वों सीमा पर,
उसके मन में राष्ट्र हित की अभिलाषा,
वों शूरवीर हैं, शौर्य का तिलक लगाते हैं,
सरहद पर जो खड़े हैं,
हमारे ही वतन के नौजवान हैं,
घनघोर भीषण वर्षा हो या तपती धूप,
फिर चाहे प्रलयकारी हो या तूफ़ान,
सैनीक होता हैं हर वक़्त खड़ा,
तनिक नहीं डरता हैं इस से,
हर क्रूर शत्रु का जवाब देने को होता हैं वों तैयार,
सदा समर्पित रहता हैं सैनीक,
अपने प्राण न्योछावर करने को,
ना पत्नी की परवाह उसको ना माँ के आँचल का,
पिता की लकड़ी भले ही टूटे,
साया उठे मेरा मेंरी बेटी के सर से,
पर गद्दार पड़ोसी के चंगुल से भारत माँ को बचाना हैं,
दुश्मन कोई ना बच पाये ऐसा कोहराम मचाना हैं,
हमारी आन-बान -शान सिर्फ़ वतन की हैं,
लहू बहा देंगे वतन के लिये हमारे नाम की पहचान वतन से ही हैं,
हम ख़ुद को यू न्योछावर करेंगे की,
जाते -जाते भी हिमालय पर भारत माँ का तिरंगा लहरायेंगे।