गुरु पूर्णिमा पर हिंदी साहित्य की वरिस्ठ कवियित्री सुनीता सिंह सरोवर की प्रस्तुत है विशेष रचना ' बिना गुरु के ज्ञान कहां '।
बिना गुरु के ज्ञान कहां
ब्रह्मा ने रचा ये सृष्टि सारा,
और रचाए मानव प्यारा,
मेरे माटी के पुतले को,
गुरू कुम्हार सा तराशे मन को,
साम,दाम और दंड, भेद समझा कर,
रहस्य सब इस जग के बतला कर,
झूठे हैं ये रिश्ते नाते,
गुरु ही सद्गति, सद मार्ग दिखाते,
परहित, पर सेवा ही है मानव धर्म,
गुरू की महिमा पर ही निर्भर सत्कर्म,
साक्षी है इतिहास हमारा,
बिना गुरु के ज्ञान भी हारा,
जाने सरोवर गुरु की महिमा,
गुरू बिना ज्ञान कहां है।।
■ सुनीता सिंह सरोवर
देवरिया, उमानगर
उत्तर प्रदेश
सम्पादन : प्रिया पांडेय 'रौशनी'