संक्षिप्त परिचय
आप प्रख्यात कवियित्री किरण बरेली महाराष्ट्र से है। उत्तरप्रदेश के बरेली में पल बढ़ कर साम्य संस्कृति को सहेजती शादी के बाद महाराष्ट्र के मुंबई में बस गयी। बात चीत हो या काव्य शैली सब मे अब भी झलकती है वो मीठी तथा सारगर्भित तहजीब। स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त कर आप किरण बरेली जी अपने सहज, सरल , सारगर्भित रचना एवम अनंत दूरदर्शिता के कारण हिंदी साहित्य में एक प्रतिष्ठित वरिष्ठ कवियित्री के रूप में पहचान बनाई है। आप हिंदी साहित्य की धरोहर है।प्रस्तुत है भारतीय किसानों के अन्तर्व्यथा को रचती आपकी कविता 'भीगता मन'।
◆ भीगता मन ◆
बीती रात भयावह आँधी
हवा के तूफान ने
घाँस फूस का आशियाना उड़ा दिया।
बेबसी से कांपता किसान
रात भर बादलों के देवता से मनुहार करता रहा।
गाँव। गाँव। खेत खलिहान
मेरे जलमग्न कर दो।
कुएं तालाब सभी सूख चले हैं।
अब तो हमारी आँखों का
नीर भी सूख चुका है।
ओ बादलो इतना बरसो
कि फिर कभी आँखों से ऐसी
बरसात ना हो।
मन भी किसी के भीगे भीगे ना हो ।
तन का क्या है !
माटी ही ओढ़े लेता हूँ ।
माटी ही कर्मभूमि है मेरी ।
इस पावन माटी में
घुल घुल कर
जीवन की इति हो जाना है।।
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किरण बरेली