★ सोशल मीडिया ★
जीवन से जुड़ी
कई बातों की तरह ही,
सोशल मीडिया के भी दो पहलू हैं ।
इसमें जितनी अच्छाइयाँ
पंख फैलाए है,
उससे कम बुराईयों ने
पाँव नहीं पसारे ।
जहाँ एक ओर बिछड़े रिश्ते
मिलते जा रहें हैं वही दूसरी ओर
अजनबियों से दोस्ती महँगी भी पड़ रही ।
हाय,हैलो,कैसी हो,खाना खाया,
जवाब क्यों नहीं दिया,
नाराज हो क्या ?
ऐसी कितनी बातों से इनबॉक्स
भरा पड़ा रहता है ।
जिसनें जवाब दिया,तवज्जों दी,
समझिए अब वो उनकी जागीर हो गई
जैसे कुछ भी पूछने का हक़
मिल गया हो उन्हें ।
पर ऐसा भी नहीं कि हर अजनबी
इसी पहलू को ही दर्शा रहा ।
कुछ ऐसे दोस्त भी मिल जातें हैं
सोशल मिडिया पर,
जो सिक्के के दूसरे पहलू सा
जीवन झोली में यूँ आ सँवरेते हैं
मानों कब के बिछड़े अब मिलें हो ।
हाँ एक बात और,
'सोसल मीडिया' का जिक्र सुनते ही
हृदयतल से आवाज़ आती है
तुझे शुक्रिया ओ डिजिटल इण्डिया ।
आए भी क्यों ना,
बचपन की बिछड़ी सहेलियाँ हो
या दोस्तों का जमघट,
सब मिल गए ठीक उसी तरह
जिस तरह सुबह का भूला
शाम को घर वापस आ गया हो ।
जिनकी यादों ने
'प्रीत' भरे उन लम्हों को,
दिल के घरौंदे में बसा लिया था
पर मिलने की सूरत
दिखती नहीं थी...........
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प्रीति मधुलिका
पटना बिहार