बिहार राज्य के राजधानी पटना की प्रख्यात कवियित्री प्रीति मधुलिका जी प्रारम्भ से सामाजिक मुद्दों पर भावपूर्ण रचनाओं को गढ़ते आ रही है । उनकी रचनाएँ हमेशा ही अव्वल दर्जे की होती है। भाषा तथा व्याकरण की पकड़ के साथ बहुत ही सरल भाव मे ये अपने साहित्य को पेश करती है। जैसे इनकी ये पंक्तियां....
रिश्ते कमाना आसान नहीं
क्योंकि रिश्ता प्रीत, समर्पण
और विश्वास माँगता है
जो बड़ी मुश्किल से दे पातें हैं
पैसे के पीछे भागने वाले ।
आएं हम समझे क्या कहना चाहती है धन या रिश्ता पर प्रीति मधुलिका जी।
धन या रिश्ता
जीवन पथ पर धन या रिश्ता
ये बता पाना सरल नहीं
क्योंकि जीने के लिए
धन कमाना जरूरी है
और रिश्ता
उसे भी जीवन बगिया में
फलीभूत करना उतना ही जरूरी है
जितना धन जरूरी है जीवन यापन में ।
हाँ ये अलग बात है कि दुनियाँ
धन के पीछे भागती नज़र आ रही
और रिश्ते का कोई मोल नहीं ।
धन को अपना सब कुछ मानने वाले
रिश्ते कहाँ कमा पातें हैं ।
रिश्ते कमाना आसान नहीं
क्योंकि रिश्ता प्रीत, समर्पण
और विश्वास माँगता है
जो बड़ी मुश्किल से दे पातें हैं
पैसे के पीछे भागने वाले ।
उनके लिए धन कमाना ही
सब कुछ पा लेने जैसा होता है
पर सुनो एक बात मेरी
मानती हूँ,
धन नहीं तो जीवन कैसा
पर रिश्ते नहीं तो उपवन कैसा...........
■ प्रीति मधुलिका