काव्य जगत
हमारा पर्यावरण
जब तक हरा रहे जीवन में, हरदम देता सबको छाँव।
इसके नीचे आकर बैठे, खुशी-खुशी से सारा गाँव।।
जबतक जीता जीवन देता, प्राण वायु के रूप में।
सबको देता ठौर-ठिकाना, वर्षा,गर्मी धुप में।।
मृदा क्षरण को रोके प्यारे, कश्ती सबको देता है।
आँधी तुफाँ और बारिश की, पीड़ा को हर लेता है।।
मरने पर भी इसने सबको लकड़ी का उपहार दिया।
घर के छप्पर, फर्नीचर संग, एक नया संसार दिया।।
फल फूल लकड़ी संग इसने जीवन का उपहार दिया।
भेदभाव नहीं इसने जाना, केवल निर्मल प्यार दिया।।
नदी धरा या झील समन्दर, सबका है सिंगार।
पेड़ लगाकर दो समाज को, साँसों का उपहार।।
कहे बिजेन्दर आज नहीं तुम, अब से ये संकल्प करो।
तरह तरह के पेड़ लगाकर, सबका कायाकल्प करो।।
काव्य दर्पण कवि
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
(बिजेन्दर बाबू)
गैरतपुर, मांझी
सारण, बिहार
मोबाइल नंबर:- 7250299200