*******आईना *******
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मैं आईना हूँ
छोटा सा निरीह मात्र
पर सच दिखाने से
नहीँ डराता आपको
बुरा लग गया तो इसमें
मेरा क्या दोष
मैं तो एक आईना हूँ।
हर व्यक्ति , हर समाज
हर देश क्या यूँ पूरा विश्व
का सच मुझमें हैं।
बस गर तुम खुद देख पाओ तो
नहीँ तो मैं खुद में रखें रहता हूँ।
मैं बोलता नहीँ।
बस दिखा देता हूँ।
मुझे क्या मालूम की आजकल
लोग खुद का सच ना जानकर
दूसरों के सच के प्रति ललक हैं।
जिस दिन मनुष्य खुद की सच को
देख कर उस पर सुधार कर लेगा
उस दिन मेरा काम खत्म
खुद को धन्य समझूँगा
मेरा बनना सफल रहा ।
कवि
अजय सिंह अजनबी
छपरा बिहार