प्रेम
लोग कहते है ढाई अच्छर
मैं कहता हूँ अनन्त
इसको पाने निभाने में
पूरी ज़िंदगी कम है
प्रेम बाजार में नहीँ बिकता
गए और खरीद लिए
इसको खोजना पड़ता है
पाना पड़ता है पर सबकी
किस्मत येसी कहाँ जो
मिल जाय
पर यह तो बहुत आसानी
से मिलती है अगर परख
पाओ समझ पाओ तब
नहीँ तो पूरी जिन्दगी कम
होगी इसको पाने के लिय
यह तो बेमिशाल है और
हर में मौजूद है अगर
परख पाओ तब
प्यार किया नहीँ जाता
बस हो जाता है कब और
किससे यह पता भी नहीँ
होगी और हो जाएगा तब
कहना प्यार किसका नाम है
मिलूँगा तुमको खोजते हुए
अगर नसीब अच्छी होगी
तो तुम मिल ही जाओगी
कवि
अजय सिंह अजनवी
छपरा