फादर्स डे
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अरे वाह,
आज 'FATHER'S DAY' है
अभी तो पिछले महीने 8 MAY को,
'MATHER'S DAY' मनाया गया था
और आज 'FATHER'S DAY'
का परचम लहराया जा रहा है ।
अब आप सब ये मत कहने लग जाना
कि MATHER'S DAY तो बीत गया
और बीत गई सो बात गई
नहीं जानती क्या ?
हाँ नहीं जानती मैं,
इन खोखले रीति रिवाजों को
जिसनें मुहावरे का अर्थ ही बदल दिया हो
और तवज्जों भी नहीं देती तुम्हारे प्रतिकार को,
जो मुझ पर और मेरी कलम पर
अँगुली उठाए ।
आखिर क्यों ?
एक खास दिन ही उनके हिस्से,
जबकि वो खुद ख़ास हैं ।
#MATHER'S-#FATHER'S DAY मना कर
फिर से वही कहावत चरितार्थ होगी
और फिर उन्हें दीवार पे लगी उस कील की भाँती
उनके अंतस पर चोट करते मिलेंगे
और जिस तरह दीवार गहन पीड़ा सहकर
उस कील को हृदय से लगा
उन तस्वीरों का वजूद बनाए रखता है
ठीक उसी तरह हमारे सपनों का
वजूद बचाए रखने के लिए
हमारे माता-पिता कुर्बानियाँ देते रहेंगे ।
हमारे सारे दर्द अपनें हिस्से लेकर
हमारे सुख की ख़ातिर,
तज दिया जिन्होंने ख़्वाहिशें अपनी
और आँखों की वो थकन भरी नींद
जिसमें दो घड़ी सोकर,
वो अपनें हिस्से का सुकून जी लेंते ।
पर उन्होंने कबूल किया हमारे 'प्रीत' में,
अपनी खुली आँखों से
हमारे सपनों का आधार बनना ।
जिसे आकार देने के वास्ते
वो जागते रहे और हम
इतनी गहरी नींद सोते रहे
कि आज तक जाग ही नहीं पाएँ
उस नींद से..........
खास है जो ईश्वर से ज्यादा,हृदय के फूल चढ़ाए हम..
जिसनें हमको जन्म दिया,उनको भूल ना जाए हम..
ना करके दिखावा खास दिवस का घर को मंदिर बनाए हम..
जिनके बिना अस्तित्व नहीं,उनसे आँख ना चुराए हम..
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प्रीति मधुलिका
पटना बिहार