प्रकृति बचाओ
आपकी खुशी मेरी खुशी,
इसी मे दुनिया की भलाई है l
प्राकृतिक का हर एक -एक चीज,
हम सभी मे समाई है l
आपकी खुशी मेरी खुशी,
इसी मे दुनिया की भलाई है l
सबकी मुख से यही निकली,
पर्यावरण हमारी शान है l
जीवन की हर एक -एक खुशी,
और होठो पर मुस्कान है l
गंगा , जमुना, सरस्वती,
सब एक ही रूप मे आई है,
आपकी खुशी मेरी खुशी,
इसी मे दुनिया की भलाई है l
कही सुनामी, कही भूकंप,
कही वर्षा की अंबार है,
जल - जीवन -हरियाली का नारा,
हम सब को लुभाई है,
आपकी खुशी, मेरी खुशी,
इसी मे दुनिया की भलाई है।
जिस रूपों मे पड़ो का,
हो रहा कटाई है,
जल की एक -एक बूंदों से,
जीवन की नई सिचाई है,
इसे बर्बाद करने की कहाँ से,
तुझमे सूझे आई है,
आपकी खुशी, मेरी खुशी,
इसी मे दुनिया की भलाई है l
जीवों की कई प्रजातियों का,
हो रहा लोप हैl
कही- ना - कही विज्ञान का,
इस पर बड़ा प्रकोप हैl
हवा के एक -एक कणों मे,
प्रदूषण का रूप आई है,
इसे स्वच्छ करने की,
हम सबने कसमें खाई है,
आपकी खुशी, मेरी खुशी,
इसी मे दुनियां की भलाई है l
l l रचनाकार l l
कवि (शिक्षक)
मुकेश कुमार पंडित
मध्य विद्यालय, जई छपरा,
मांझी, सारण
बिहार